बंगाल में दो भाजपा विधायकों ने थामा तृणमूल का हाथ

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक महीने के भीतर ही कई भाजपा नेताओं (दलबदलुओं) का ‘दिल’ एकबार फिर से ममता बनर्जी के लिए धड़कने लगा था। कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची थी, अब वैसी हा भगदड़ का शिकार भाजपा को होना पड़ सकता है. दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं का ‘ममता प्रेम’ खुलकर सामने आ चुका है. सोनाली गुहा, सरला मुर्मू, अमोल आचार्य, दीपेंदू बिश्वास जैसे नेताओं के बाद अब पूर्व विधायक प्रबीर घोषाल का नाम भी इस लिस्ट में जुड़ गया है।

नयी दिल्ली/ कोलकत्ता :

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बीजेपी को एक और करारा झटका दिया है। बीजेपी के विधायक बिस्वजीत दास ने मंगलवार को टीएमसी जॉइन कर ली। उनके अलावा पार्षद मोनोतोष दास ने भी पार्टी की सदस्यता ले ली। इससे पहले सोमवार को ही तन्मय घोष ने बीजेपी छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया था। वह बिशुनपुर सीट से विधायक हैं। तन्मय घोष की तरह ही बिस्वजीत दास भी पहले टीएमसी में थे और अब फिर से घर वापसी कर ली है। उन्होंने बीजेपी छोड़ने को लेकर कहा कि मैं वह खुष नहीं था। मैंने बीजेपी में जाकर गलती की थी और वापस आना चाहता था।

टीएमसी से दो बार विधायक रहे दास ने विधानसभा चुनाव के पहले ही बीजेपी का दामन थाम लिया था। उन्होंने मुकुल रॉय के साथ ही बीजेपी जॉइन कर ली थी, लेकिन वहां शांतनु ठाकुर की लॉबी के साथ अकसर अनबन रहती थी। कहा जा रहा है कि मुकुल रॉय के एक बार फिर से टीएमसी लौटने और गुटबाजी के चलते दास ने टीएमसी का दामन फिर से थामा है। इसके अलावा वह बोनगांव सीट से विधायक बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें बागडा से लड़ने को कहा था। भले ही वह जीत गए, लेकिन यहां खुश नहीं थे।

कहा जा रहा है कि वह विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी बदलने के मूड में थे। लेकिन मुकुल रॉय और अर्जुन सिंह ने उनसे कहा था कि यदि ऐसा कुछ करना भी है तो विधानसभा चुनाव के बाद ही करें। वहीं बिस्वजीत दास के पार्टी छोड़ने को लेकर बीजेपी ने कहा कि इससे बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। फिलहाल बीजेपी के विधायकों की संख्या 72 हो गई है, जबकि विधानसभा चुनाव में उसके 77 मेंबर जीते थे।