महाराष्ट्र में राजनैतिक विरोधियों की निरंकुश गिरफ्तारिया और हिटलर मोदी है
भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के रायगढ़ में एक जनसभा में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा था, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) को स्वतंत्रता का साल मालूम नहीं है। वह अपने भाषण के दौरान स्वतंत्रता के साल के बारे में पूछने के लिए पीछे घूम गए। अगर मैं वहां होता, तो उनको (उद्धव को) एक जोरदार चांटा मारता।’ नारायण राणे के इस बयान के बाद शिवसैनिकों ने जबरदस्त प्रदर्शन भी किया था।
- “हाय वे मोदी मर जा तूँ” किसान आंदोलन पर मोदी के खिलाफ जहर उगलते हुए।
- “ये युवा आठ – छ: महीने बाद मोदी को डंडे से मारेंगे” राहुल गांधी एक रैली में तत्कालीन प्रधानमंत्री के खिलाफ अपने भाव नहीं छुपा पाये।
- “योगी को उन्हीं की चप्पल से मारना चाहिए।” शायद राम मंदिर के कारण
- “यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास चला गया। मन कर रहा है कि उसी चप्पल से उसे मारूं।” उद्धव ठाकरे
दिल्ली/पुणे:
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर मोदी सरकार में अघोषित आपातकाल बताने वाले विपक्ष का मुंह नारायण राणे की गिरफ्तारी पर ऐसा बंद हुआ की वह अब विपक्ष पर आने वाले नए बयान पर ही खुलेगा। और फिर लोकतन्त्र खतरे में आ जाएगा। सत्तारूढ़ दल को व्यभचारी, लोकतन्त्र का ब्लाटकारी इत्यादि इत्यादि बताया जाएगा। ए बार फिर चौकीदार चोर है इसे युवा डंडे से मारेंगे बताया जाएगा। लेकिन महाराष्ट्र में कॉंग्रेस और एनसीपी के समर्थन से बनी शिव सेना की सरकार के कुकृत्यों को हमेशा की तरह नजरंदाज़ किया जाएगा। और यदि कॉंग्रेस से जवाब पूछा जाएगा तो वह यह कह कर पल्ला झाड लेंगे की हम तो बाहर से समर्थन कर रहे हैं। मोदी विरोध ठीक है कैंट यदि विपक्ष के किसी मुख्यमंत्री का विरोध किया तो लोकतन्त्र का हनन और विरोधी को जेल। नारायण राणे से अपनी निजी खुन्नस निकालने के लिए
बिगड़े बोलों पर इस समय महाराष्ट्र का तापमान चढ़ा हुआ है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान एक विवादित बयान दे दिया था। उस पर शिवसेना इतनी भड़की कि राणे के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं। मंगलवार दोपहर उन्हें रत्नागिरी से अरेस्ट भी कर लिया गया। दिलचस्प है कि ठीक इसी तरह का बयान कुछ समय पहले उद्धव ठाकरे ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भी दिया था।
बात साल 2018 की है जब उद्धव ठाकरे ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माला चढ़ाते समय योगी आदित्यनाथ के खड़ाऊं पहनने पर ऐतराज किया था। उद्धव का मानना था कि ऐसा करके योगी ने शिवाजी महाराज का अपमान किया है। ठाकरे ने कहा था, ‘यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास चला गया। मन कर रहा है कि उसी चप्पल से उसे मारूं।’
मुझे उद्धव से कुछ सीखने की जरूरत नहीं: योगी
इस समय तक बीजेपी और शिवसेना के रिश्तों में खटास आ गई थी। हालांकि योगी ने मामले को तूल ने देते हुए कहा था, ‘मेरे अंदर उनसे कहीं ज्यादा शिष्टाचार है, मुझे श्रद्धांजलि देना आता है। इस पर मुझे उनसे कुछ सीखने की जरूरत नहीं।’
लेकिन शायद उद्धव अपनी ही राजनाइटिक बाली चढ़ाने में लगे हुए है। उनके साथी दल उन्हें किसी भी कृत्य से रोक नहीं रहे। बल्कि मों समर्थन दे रहे हैं, जिससे उन्हें लगता है की शिवसेना ओर भाजपा में खटास बढ़ेगी। लेकिन म्पोडी की चुप्पी द्धव के प्रति नए नर्म रवैये को ही परिलिक्षित करती है।
और इधर राणे खाने की मेज़ से खाना छुदवाकर गिरफ्तार करलिए जाने के बाद जमानत पर हैं और हस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।