पुरानी याद : राजस्थान मैं अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन बंद कर दी
जिस आपातकाल ने भारतीय लोकतन्त्र को दुनियाभर में शर्मिंदा किया था और हजारों लाखों को सलाहों के पीछे दाल दिया था अनेकों अनेक प्राताड़नाएं दीं थीं। इसे सामान्य नागरिक एमेर्जेंसी के नाम से जानते हैं। भाजपा नीट सरकारों ने माना कि वह उस दौर की इन्दिरा -संजय नीत कॉंग्रेस सरार की प्राताड़नाओं को दूर नहीं कर सकती लेकिन भाजपा सरकारों ने उन्हे स्वतन्त्रता सेनानियों के समकक्ष लोकतन्त्र प्रहरियों का नाम दिया और उन्हें मासिक सम्मान राशि भी प्रदान की। प्रदेश में जब तक भाजपा सरकार थी तब तक यह राशि लोकतन्त्र प्रहरियों के खाते में आतिर रही। ज्यों ही कॉंग्रेस सरकार आई तो समय बीतने के साथ यह सम्मान राशि बंद कर दी गयी।
राजस्थान के एक कॉंग्रेसी नेता ने इस बाबत पूछे जाने पर नाम न बताने की शर्त पर कहा कि “यह लोग स्वयं को इतना ही चौकीदार(प्रहरी) मानते हैं तो इंदिरा जी को क्यों सत्ता सौंपी? एमेर्जेंसी के पश्चात दशकों तक क्यों कॉंग्रेस को चुनते आए?” वह यहीं पर नहीं रुके यह तक बोल गए कि “हमसे पैसे ले कर हमीं को गरियाएंगे तो कहाँ तक सहे जाएँगे?”
करणीदान सिंह, सूरतगढ़:
भारत सरकार, हमारी सरकार ने अभी तक न सम्मान दिया न पेंशन शुरू की।
वसुंधरा सरकार ने लोकतंत्र सेनानी दिया था नाम
प्रदेश की पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सलाह पर आपातकाल के दौरान जेल गए 1120 मीसा और डीआरआई बंदियों को लोकतंत्र सेनानी नाम दिया था। वसुंधरा राजे सरकार ने इन 1120 लोगों को 20 हजार रुपये मासिक पेंशन, यात्रा भत्ता एवं नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने का निर्णय लिया था। मीसा और डीआरआई बंदियों को पेंशन और अन्य सुविधाएं देने के लिए वसुंधरा राजे सरकार ने लोकतंत्र रक्षक सम्मान निधि योजना लागू की थी। अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही इस योजना को बंद करने पर विचार करने की बात कही थी।
हो सकता है राजस्थान में अशोक गहलोत की कांग्रेसी सरकार द्वारा आज 20 अगस्त से शुरू की गई इंदिरा गांधी रसोई योजना के तहत 8 रुपए में भोजन करने वालों में लोकतंत्र सेनानी भी मजबूरी में भोजन ग्रहण करने लगे।
जिस कांग्रेस ने आपातकाल लगाया उसी कांग्रेस के राज में ₹8 की थाली भोजन करना पड़े।
हमारी भारत सरकार अगर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करें और पेंशन सुविधाएं दे तो कांग्रेस राज की ओर कोई देखना भी नहीं चाहेगा। लोकतंत्र सेनानियों में अनेक लोग संपन्न है उनको यह वाक्य अच्छे भी नहीं लगेंगे लेकिन अनेक लोग आज रोजी रोटी के मोहताज भी हैं। उम्र काफी होने के कारण वे कोई काम नहीं कर सकते। आखिर वे भूख मिटाने पेट पालने के लिए जाते हैं तो यह भाजपा नेताओं के लिए शर्मनाक स्थिति है।
यह हालत हमारी भारत सरकार और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी के काल में देखने को मिले तो बहुत बुरा लगता है। लोकतंत्र सेनानी संगठन चलाने वाले पदाधिकारीगण और जनप्रतिनिधियों सांसदों विधायकों सोचो।
20-8-2020.( एक साल पहले इसी तारीख पर फेसबुक पर लगाया था। आज फेसबुक ने याद कराया)