पितृ दोष और कालसर्प योग से मुक्ति दिलाती है आषाढ़ अमावस्या

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में अमावस्या पड़ती है। अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है और आषाढ़ माह की अमावस्या 9 जुलाई, 2021 को है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से घर में रहकर ही स्नान करने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान जरूर करें। आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ :

आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

कालसर्प दोष

  • ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में जब राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण हो जाता है। कालसर्प दोष की वजह से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • उपाय – कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के पावन दिन विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। इस दिन दूध, गंगा जल, इत्यादि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। भोलेनाथ को भोग भी लगाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। 

पितृ दोष

  • ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है। सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है। 
  • पितृ दोष उपाय-  इस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों का स्मरण कर पिंड दान करना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए माफी  भी मांगनी चाहिए।

आषाढ़ मास में की जाने वाली पूजा का जीवन में शुभ फल प्राप्त होता है।  मान्यता है कि भगवान विष्णु को आषाढ़ मास प्रिय है।  इस मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और सुख समृद्धि प्राप्त होती है।  आषाढ़ मास में अमावस्या की तिथि को विशेष महत्व दिया गया है।  इस अमावस्या को अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है-

  • आषाढ़ अमावस्या
  • हलहारिणी अमावस्या
  • अषाढ़ी अमावस्या

आषाढ़ मास की अमावस्या का संबंध कृषि से भी है।  आषाढ़ मास की ये अमावस्या जीवन में कृषि और अन्न की अहमियत को बताी है।  इसी कारण इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है।  इस दिन कृषि कार्य से जुड़े लोग कृषि कार्य में प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरणों की पूजा की जाती है।  मुख्यत: इस दिन हल की पूजा की जाती है।  कृषक इस दिन अच्छी फसल की कामना करते हैं। 

ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमावस्या तिथि पर एक वृक्ष लगाया जाए तो वो बहुत पुण्यदायी होता है।  इससे पितर बहुत प्रसन्न होते हैं और जैसे जैसे वो पौधा बढ़ता जाता है, वैसे वैसे जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती जाती हैं. लेकिन इन पौधों को लगाने के बाद इनकी सेवा भी करनी चाहिए।  यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है, तो आपको अमावस्या के दिन उनके निमित्त पौधे लगाने चाहिए ताकि उनको सद्गति प्राप्त हो और परिवार को पितरों का आशीर्वाद मिल सके।  जानिए उन पौधों के बारे में जिन्हें अमावस्या पर लगाना शुभ माना जाता है। 

पीपल

पीपल के वृक्ष को सनातन धर्म में पूज्यनीय माना गया है।  भगवान कृष्ण ने इसे कलयुग में अपना साक्षात अवतार बताया है।  पितरों को शांति देने के लिए अमावस्या पर इसे लगाना विशेष शुभ माना जाता है।  इसके अलावा अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाना भी काफी शुभ होता है।  अगर कुंडली में गुरु चांडाल योग हो तो पीपल जरूर लगाना चाहिए। 

बरगद

बरगद को शास्त्रों में मोक्षदायी वृक्ष माना जाता है।  अमावस्या के दिन इसे लगाने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है ​और उसका परिवार खूब फलता फूलता है. परिवार के सदस्यों की उम्र बढ़ती है. । इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर महादेव की पूजा करना भी काफी शुभ माना जाता है. पूजा के बाद वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। 

बेल

बेल का वृक्ष महादेव का प्रिय वृक्ष माना जाता है।  अमावस्या के दिन इसे लगाने से पितृ तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।  इसके अलावा शिवलिंग पर पितरों के नाम से गंगाजल अर्पित करके बेलपत्र चढ़ाने से भी पितरों को शांति मिलती है। 

तुलसी

तुलसी के पौधे को भी बैकुंठ ले जाने वाला पौधा माना जाता है।  अमावस्या के दिन पितरों के नाम से इस पौधे को लगाना बहुत अच्छा माना जाता है. इससे पितरों को मुक्ति मिलती है।  यदि पितृ पक्ष में तुलसी के पौधे को लगाया जाए तो ये और भी शुभ होता है।  कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है।  वहां वास्तु दोष खत्म हो जाता है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।