खट्टर सरकार पिछले लगभग 6 साल और 8 महीने के अपने कार्यकाल में प्रत्येक क्षेत्र में फेल रही है : चन्द्र मोहन
पंचकूला 18 जून:
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सरकार के दूसरे कार्यकाल के 600 दिन पूरे होने पर आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह आंकड़ेबाजी की जादूगरी अपनी सरकार की अकर्मण्यता और असफलताओं को छिपाने के उद्देश्य से की जा रही है। जबकि नियम यह है कि सरकार की सालगिरह पूरा होने पर तो इस तरह का आयोजन करना तो उचित है लेकिन, 600 दिन पूरा करने पर आयोजन करना कहां तक उचित और तर्क संगत है। यह समझ से बिल्कुल ही परे है। जहां तक दिन की बात है वह तो हर रोज ही बढ़ता रहता है।
चन्द्र मोहन ने कहा कि खट्टर सरकार पिछले लगभग 6 साल और 8 महीने के अपने कार्यकाल में प्रत्येक क्षेत्र में फेल रही है। इस सरकार की एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिस पर हरियाणा प्रदेश के लोग गर्व कर सकें। हरियाणा प्रदेश को बेरोजगारी के गर्त में धकेलने के साथ साथ यहां अपराधियों के हौसले भी पूरी तरह से बुलंद हैं। प्रदेश को क़र्ज़ में डूबोने वाली सरकार की उपलब्धियां नगण्य हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इसने प्रदेश को देश में बेरोजगारी के मामले में नम्बर वन बना दिया है। इसके साथ ही खट्टर सरकार ने प्रदेश के लोगों को कर्ज के गर्त में डूबोने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2014 में 70 हजार का कर्ज प्रदेश के लोगों पर छोड़ा था और यह कर्ज, हरियाणा बनने के 48 साल में सत्ता छोड़ते समय भाजपा सरकार को सौंपा था। वह भी उसके बाद, जिस समय हरियाणा ने अनेक क्षेत्रों में नए नए कीर्तिमान स्थापित किए थे।
चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार का कर्ज भाजपा के 7 सालों के शासनकाल में बढ़कर तीन गुना तक पहुंच गया है और आज प्रदेश पर 2 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है। भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण ही इतना कर्ज बढ़ा है। इस सरकार में जम कर लूट मचाई गई है। उदाहरण के तौर पर पानीपत, गुड़गांव और हिसार में अस्थाई कोविड अस्पताल 28 करोड़ प्रति अस्पताल की दर से 84 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किए गए थे और आज मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर 6 महीने में तीसरी लहर नहीं आई तो हिसार और पानीपत के अस्थाई कोविड अस्पताल खत्म कर दिए जायेंगे। क्योंकि वहां पर एक भी मरीज नहीं है। यह आलम है सरकार के कुप्रबंधन का,जिसके कारण पैसे की बर्बादी हो रही है।
चन्द्र मोहन ने सवाल किया कि पेट की आग तो खाना खाने से ही शान्त होगी भाषण बाजी और लिफाफे बाज़ी से नहीं। मुख्यमंत्री आज 12 लाख असंगठित श्रमिक परिवारों को 5 हजार रुपए देने की बात करते हैं तो उन्हें इनकी याद तब क्यों नहीं आई जिस समय वह काम बंद होने की वजह से अपने खून के आंसू पीकर तिल-तिल कर मरने के लिए मजबूर हो कर पलायन कर रहे थे।
चन्द्र मोहन ने कहा कि प्रदेश के लोगों को सोसेबाजी के नाम पर गुमराह करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में दिए गए बयान को भी भ्रमित करने वाला बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, अगर इन्हें लागू किया जाएगा ,तभी पता लगेगा कि इनमें क्या परेशानी है। इसका उत्तर देते हुए चन्द्र मोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए ही ऐसा ब्यान दे रहे हैं। उनको मालूम होना चाहिए कि किसान कारपोरेट घरानों से अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं और इस संघर्ष में अभी तक 500 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के लिए बेहतर यह होगा वह आंकड़ों की बाजीगरी छोड़ कर प्रदेश में रसातल में पहुंच चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने, कानून और व्यवस्था को सुदृढ करने के साथ साथ प्रदेश से बेरोजगारी के दंश को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए अन्यथा इस प्रकार से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेश के लोगों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है। *