ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है: डा. खन्ना
ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है: डा. खन्ना
मुंह, नाक और आंखों को साफ रखकर काले फंगस से बच सकते हैं कोविड मरीज: डा. खन्ना
कोविड की नई लहर से हो सकता है ब्लैक फंगस का संक्रमण: डॉ. वरिंदा
पंचकूला, 29 मई :
ब्लैक फंगस (काली फफूंदी), नाक, आंख, नासिका, मस्तिष्क और फेफड़ों की एक अवसरवादी इन्फेक्शन (संक्रमण) है जो की अकसर उन्ही मरीजों को अटैक करती है जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति धीमी पड़ चुकी होती है यां फिर मधुमेह, कैंसर या अन्य असाध्य रोगों के मरीज हों यां रोग प्रतिरोधक शक्ति को काम करने वाली दवाई ले रहे हों । यह जानकारी ईएनटी (कान, नाक और गले) विभाग, पारस अस्पताल पंचकूला के प्रमुख डॉ. संजय खन्ना ने एक प्रेस बयान में दी। डॉ. खन्ना अब तक कई ब्लैक फंगस मरीजों का इलाज कर चुके हैं।
डा. खन्ना ने कहा कि जब कोविड के मरीज ब्लैक फंगस से संक्रमित हो जाते हैं तो यह अधिक खतरनाक साबित होता है क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे थरोमबोसिस हो जाता हैं, जो हृदय, मस्तिष्क फेफड़ों के लिए खतरनाक है।
ईएनटी के असोशीएट कन्सल्टन्ट डॉ. वरिंदा नरूला ने कहा कि कोविड के मरीज अपने मुंह, नाक और आंखों को साफ रखकर ब्लैक फंगस के संक्रमण को रोक सकते हैं, क्योंकि इन अंगों के जरिए बीमारी का संक्रमण शरीर में प्रवेश करता है, उन्होंने कहा कि जिन मरीजों में ब्लैक फंगस का जल्दी पता चला था, वे पारस अस्पताल में सर्जरी के जरिए ठीक हो गए।
डॉ. संजय खन्ना ने कहा कि ब्लैक फंगस अक्सर उन मरीजों पर हमला करता है जिनका मधुमेह नियंत्रण से बाहर है और जो डॉक्टर की सलाह के बिना स्टेरॉयड ले रहे हैं। पारस अस्पताल के जीएम (ऑपरेशन) डॉ. अमरप्रीत सिंह ने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चुनोती भरा है क्यूंकी अक्सर इन मरीजों को कोई न कोई पुरानी बीमारी होती है ।
कोविड से संबंधित काले फंगस के लक्षण और संकेत
- नाक से दुर्गंध आना
- सांसों की बदबू
- नाक, मुंह के अंदर या तालू का बदरंग
- दर्द के साथ या बिना दर्द दांत कांपना
- नाक में खून सहित मोटे रेशों का बनना
- आंखों का लाल होना और पलकों का गिरना
- दृष्टि में कमी
- भारीपन या सिरदर्द
- लगातार खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ