प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोषों में व्यापारिक संस्थाओं के दान भेंट सबसे अधिक मिले हुए हैं
करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़:
सरकार के पास व्यापारियों दुकानदारों का चालान करने दुकानें सीज करने के लिए कर्मचारियों की अधिकारियों की फौज है लेकिन कॉविड वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ व्यवस्था के लिए दो तीन कर्मचारी नहीं है।
प्रशासन के पास डंडा है लेकिन दिमाग नहीं है।दिमाग होता तो वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को सही तरीके से बिठाने और क्रम आने पर वैक्सीनेशन कमरे में प्रवेश का उचित प्रबंध होता।
वैक्सीनेशन सेंटरों पर घंटों तक पंक्ति/ पंक्तियों में जिस तरह से एक दूसरे से स्पर्श करते सटे हुए खड़े होते हैं जिससे तो संक्रमण का खतरा ही है।
सरकार लोकडाउन लगाकर मास्क और 2 गज की दूरी रखने की गाईडलाइन बना कर निश्चिंत है कि इससे कोरोना की कड़ी तोड़ने में सफलता मिलेगी। लेकिन वैक्सीनेशन सेंटरों पर जो अव्यवस्था है उसे देख कर तो लगता है कि
कोरोना की कड़ी तोड़ने में कमजोरी रहेगी।
अब 18 से ऊपर तक को टीकाकरण की घोषणा हो गई है तो वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ का आना सही है। आने वाली भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रबंध नहीं है और इस पर विचार भी नहीं किया गया।
सरकार के पास दुकानदारों व्यापारियों का चालान करने जुर्माना वसूल करने,दुकानों को सीज करने आदि के लिए कर्मचारियों की फौज है,लेकिन वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को उचित रूप से बिठाने और क्रम आने पर वैक्सीनेशन कमरे में प्रवेश कराने के लिए आवश्यक दो तीन या पांच कर्मचारी नहीं है।
सरकार के विभागों के कार्यालयों की संख्या हर स्थान पर कमसे कम पांच और अधिक में बीस पचास तक में बीस से एक सौ तक कर्मचारी हैं लेकिन उनमें से वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को सही बैठाने के लिए दो तीन या पांच कर्मचारी नहीं है।
सही रूप में कहा जाए तो कर्मचारी तो हैं लेकिन सरकार के पास दिमाग नहीं है। दिमाग होता तो यह व्यवस्था की जाती। दिमाग होता तो नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकाय को ही निर्देशित कर दिया जाता कि वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को व्यवस्थित करने बैठाने की रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के लिए कर्मचारी लगाएं।
जिला, उपखंड, तहसील, ग्राम पंचायत स्तर पर जहां वैक्सीनेशन सेंटर हैं वहां के अधिकारी ही आपदा काल की ड्यूटी लगा दें।
बैंकों में टोकन व्यवस्था चलती है उसी प्रकार की व्यवस्था वैक्सीनेशन सेंटरों पर हो। व्यक्ति के आने पर उसे क्रमांक लिखा कागजी टोकन दे दिया जाए और नाम आईडी लिख लिए जाएं। व्यक्ति को पंक्ति में खड़ा नहीं किया जाए। बैठने की दूरी के हिसाब से व्यवस्था की जाए। वैक्सीनेशन कमरे में क्रम के अनुसार प्रवेश कराया जाए। इससे सटकर खड़े नहीं होना पड़ेगा। संक्रमण के खतरे से तो बचाव होगा।
सरकार ने सेंटरों पर वैक्सीनेटर एक एक लगा रखे हैं। इनकी संख्या भी बढाई जानी चाहिए।
प्रशासन ने वैक्सीनेशन सेंटरों पर व्यवस्था करने कराने में समाजसेवी संस्थाओं से सहयोग नहीं मांगा। अनेक समाजसेवी संगठन और क्लब आपदा काल में धनराशि और उपकरण उपलब्ध कराते रहे हैं और कोरोना आपदा में भी संस्थाएं भरपूर सहयोग कर रही हैं। प्रशासन को इन संस्थाओं से सहयोग मांगना चाहिए। संस्थाएं तो इशारा करते ही कार्य करने को तत्पर हैं।
* सरकार को कोरोना चेन तोड़ने के लिए वह हर कार्य रोकना चाहिए जिसमें व्यक्ति सट कर खडे़ होते हैं। चाहे राजकीय हों चाहे निजी हों। भेंट पुरस्कार सम्मान में भी सट कर खडे़ होने पर रोक होनी चाहिए और सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को सख्त पाबंद किया जाना चाहिए।
* इस लेख के माध्यम से एक बात रख रहा हूं कि दुकानों आदि का समय सप्ताह में 5 दिन सुबह 6 बजे से 11 बजे तक है। दुकानदार सामान समेटता है और पांच दस मिनट ऊपर हो जाते हैं तो चालान और सीज करने में देरी नहीं। समय के बाद पन्द्रह मिनट तक चालान होना ही नहीं चाहिए।अधिक समय आधा घंटा हो जाए तब चालान हो सकता है। व्यापारियों दुकानदारों पर डंडे से शासन नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोष में इनकी संस्थाओं के ही दान भेंट सबसे अधिक मिले हुए हैं। इनको हर समय घुड़काएं नहीं। आपदाओं में ये भी अग्रिम पंक्ति के राष्ट्र रक्षक हैं।
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