प्रशांत किशोर एक कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं। 2014 में चाय पे चर्चा के साथ मोदी को एक तरफा जीत दिलाने वाले किशोर ने कभी यह दावा नहीं किया कि मोदी की जीत के पीछे उनकी रन नीतियां थीं। ठीक उसी प्रकार 2014 के बाद भाजपा में अमित शाह की आमद के पश्चात उनकी दूरियाँ बढ़ गयी और उन्होने कॉंग्रेस को यूपी (उत्तर प्रदेश में जीतने का बीड़ा उठाया और हात पर चर्चा शुरू की, जहां योगी ने यूपी ए लड़कों(अखिलेश और राहुल) की पार्टी की खाट ही खड़ी कर दी। किशोर ने हार का ठीकरा अपने सर नहीं फूटने दिया और वह नितीश के साथ गलबहियाँ डालते दिखे। बिहार में गठबंधन चुनाव जीत गया किशोर एक बार फिर sसुर्खियों में आए लेकिन जीत के दावे से दूर ही रहे। नितीश के यूपीए से अलग होने पर प्रशांत दीदी के खेमे में चले गए, और दीदी को जीत हासिल कारवाई लेकिन सेहरा अपने सर नहीं बांधने दिया। तो आज फिर ऐसा क्या हो गया की किशोर को बंगाल चुनावों में मुखर हो कर आना पड़ा? राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो किशोर एक कोच की तरह काम करते हैं, जिसका काम खिलवाने का होता है न कि खेलने का। बंगाल में टीएमसी में पड़ी फूट का एक बड़ा कारण प्रशांत किशोर भी माने जाते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि जब कोच मैदान में उतर पड़े तो हार निश्चित है कारण खिलाड़ी कमजोर, निराश और हताश है। क्या किशोर अब बंगाल छोड़ पंजाब आ रहे हैं,वह भी बंगाल चुनाव से पहले? तो क्या जो कयास हैं वह सही हैं? क्या भाजपा को बंगाल के लिए अग्रिम बधाई दे दी जाये?
चंडीगढ़:
पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति के बूते कांग्रेस को जोरदार एकतरफा जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ गए हैं। यह जानकारी खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर दी है। कैप्टन ने लिखा उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रशांत किशोर उनके प्रधान सलाहकार के रूप में उनसे जुड़ रहे हैं| पंजाब के लोगों की भलाई के लिए हम एक साथ काम करने के लिए तत्पर हैं|
बता दें कि प्रशांत किशोर बंगाल विधानसभा चुनावों में TMC के चुनावी रणनीतिकार हैं। बीते दिनों उन्होंने दावा किया था, “मीडिया का एक वर्ग बीजेपी के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, हकीकत यह है कि बीजेपी दहाई के आँकड़े के लिए संघर्ष कर रही है। अगर बीजेपी बंगाल में बेहतर प्रदर्शन करती है तो मैं इस जगह को छोड़ दूँगा।”
प्रशांत किशोर के पिछले दावों और कैप्टन अमरिंदर सिंह की घोषणा के बाद ये चर्चा सोशल मीडिया पर तेज हो गई है कि क्या प्रशांत किशोर बंगाल चुनाव में पराजय की आहट से डर गए हैं? शैशव मित्तल लिखते हैं, “प्रशांत बंगाल से भागे क्योंकि उन्हें दिख रहा है कि अब उनकी दाल बंगाल में नहीं गलेगी। इसलिए नया काम ढूँढ लिया। वैसे उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा 99 से ज्यादा सीट जीत गई तो वह जगह को छोड़ देंगे- क्या हुआ तेरा वादा।”
एक ट्वीट में कहा गया है कि प्रशांत किशोर सही खेल गए। उन्हें पता था कि बंगाल चुनाव के बाद उन्हें कहीं जॉब नहीं मिलेगी। ज्योतिष लिखते हैं कि इसे रणनीतिकार कहते हैं। अगर ये 2 मई तक का इंतजार करते तो शायद बिजनेस डील में नुकसान होता।
पिंटू यादव कहते हैं, “अब पंजाब की बारी है। ममता दीदी को डुबाने के बाद इन्होंने पंजाब का रुख किया है।” वहीं एक दूसरे अकाउंट से कहा गया है, “उन्होंने (प्रशांत ने) टीवी शो में कहा था कि बंगाल में अगर भाजपा 99 सीट लाई तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उन्हें कम से कम कोई अन्य राजनीतिक जिम्मेदारी सँभालने से पहले 2 मई का इंतजार करना चाहिए। आखिर नैतिकता का सवाल है। “
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह से नहीं जुड़े हैं। पंजाब के 2017 के विधानसभा चुनावों के समय भी उन्होंने कॉन्ग्रेसी की रणनीति तैयार करने में मदद की थी। उस समय अमरिंदर सिंह ने कहा भी था, “मैं बहुत बार कह चुका हूँ कि पीके और उनकी टीम के काम ने हमारी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।”