कृषि सुधार क़ानूनों को लागू कर प्रतियाँ फाड़ने वाले पहले मुख्यमंत्री बने केजरीवाल
कैप्टन ने केजरीवाल के उपवास को नाटक बताया। उन्होंने केजरीवाल को चुनौती दी कि वो अपनी सरकार का कोई एक कार्य बताएं जो किसानों के हित में उनकी सरकार ने किया हो। कैप्टन ने आरोप लगाया कि पिछले 17 दिन से दिल्ली शहर के बाहर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों की मदद के लिए कुछ भी रचनात्मक करने की बजाय केजरीवाल और उनकी पार्टी राजनीति करने में व्यस्त हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने सवालिया लहजे में केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि किसान आपके शहर के बाहर सड़कों पर ठंड का सामना करते हुए अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं और आप सोच रहे हैं कि मौके का कैसे फायदा उठाया जाए। क्या आपको कोई शर्म नहीं है? उन्होंने कहा कि केजरीवाल अपनी पार्टी के चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए झूठे प्रचार का सहारा ले रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने अमरिंदर के बयानों से तिलमिला कर आनन फानन दिल्ली में विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया और केंद्र द्वारा पारित कृषि स्धार बिलों की प्रतियाँ फाड़ीं। केजरीवाल यहाँ एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की। एक तो उन्होने कैप्टन द्वारा दिलाये गुस्से को बिल की प्रतियों पर उतारा और साथ ही उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने को आतुर होते हुए मुहयमन्त्री योगी पर निशाना साधते हुए भाजपा के नेताओं को अफीम खाये हुए बताया। सनद रहे कि अरविंद केजरीवाल पहले ही कृषि सुधार क़ानूनों को दिल्ली में नोटिफ़ाई कर चुके हैं उस समय आआपा ने एक बयान में कहा था, ” ये कानून पहले ही लोकसभा, राज्यसभा में पारित हो चुके हैं और राष्ट्रपति भी हस्ताक्षर कर चुके हैं। अब ये कानून पूरे देश में हैं। किसी भी राज्य के पास स्वतंत्र रूप से इन्हें लागू करने अथवा खारिज करने की शक्ति नहीं है। मोदी सरकार ने इन्हें पारित किया है और केवल वे ही इन्हें वापस ले सकती है।”
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज (दिसंबर 17, 2020) कानून की कॉपी फाड़ दी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें खुद नहीं पता ये कृषि कानून आखिर है क्या।
केजरीवाल ने कहा कि सब भाजपाइयों को अफीम खिला दी गई है और उन्हें एक लाइन रटवा दी गई है कि किसान देश में कहीं भी फसल बेच सकता है। उन्होंने कहा कि हकीकत में किसान भ्रमित नहीं हैं, बल्कि भाजपाई भ्रमित हैं।
सीएम केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए पूछा कि सरकार और कितनी जान लेगी? अब तक 20 से ज्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन में बैठा हर किसान भगत सिंह है। ऐसे में सरकार अंग्रेजों से बदतर न बने।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार केजरीवाल ने कानूनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कृषि कानून को आखिर कोरोना महामारी के दौरान संसद में पारित करने की क्या जल्दी थी? उन्होंने सरकार आरोप लगाते हुए कहा कि यह पहली बार हुआ है कि राज्यसभा में मतदान के बिना 3 कानून पारित किए गए हैं।
आगे उन्होंने कहा, “हर किसान भगत सिंह बन चुका है। सरकार कहती है कि वह किसानों से बात कर रही है और उन्हें फायदा समझाने की कोशिश कर रही है। यूपी के मुख्यमंत्री किसानों को कह रहे हैं कि इस कानून से आपको फायदा होगा क्योंकि कोई उनसे उनकी जमीन नहीं लेगा। ये कौन सा फायदा है?”
केजरीवाल आगे पूछते हैं, “किसान देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकते हैं। आज धान के लिए एमएसपी 1835 रुपए है। यह यूपी और बिहार में 950 रुपए में बेचा जा रहा है। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि ये किसान एमएसपी से ज्यादा पाने के लिए अपनी उपज कहाँ बेचने जाएँ।”
बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान सोमनाथ भारती और मोहिंदर गोयल ने भी तीनों कृषि कानूनों की कॉपी फाड़ी और कहा, “हम इस काले कानून को मानने से इनकार करते हैं।” इसके अतिरिक्त मंत्री कैलाश गहलोत ने सदन को संबोधित करते हुए कहा, “हम तीनों कानूनों का विरोध करते है और केजरीवाल सरकार किसानों के इस संघर्ष में हर प्रकार से उनके साथ खड़ी है।”
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