न्यायिक अधिकारी ने पति के रहते की दूसरी शादी
हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल, महिला न्यायिक अधिकारी व विधि विभाग से मांगा जवाब
जयपुर।
प्रदेश की एक महिला न्यायिक अधिकारी के पति के रहते दूसरी शादी करने का मामला सामने आया है, जिस पर हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन, रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्रार (प्रशासन), महिला न्यायिक अधिकारी व प्रमुख विधि सचिव से जवाब तलब किया है।
न्यायाधीश मनीष भण्डारी व न्यायाधीश दिनेश चन्द्र सोमानी की खण्डपीठ ने जयपुर निवासी अनुराग वर्मा की याचिका पर यह आदेश दिया है। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता आनन्द शर्मा ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी ने 10 अप्रेल 2013 को हिन्दू रीति से शादी की और 29 जुलाई 2013 को विवाह पंजीकृत हो गया। इसी बीच दो दिसम्बर 2013 को प्रार्थी की कथित पत्नी का राजस्थान न्यायिक सेवा में चयन हो गया।
याचिका के अनुसार प्रार्थी के पत्नी ने पहले पढ़ाई और फिर परीवीक्षा काल के नाम पर साथ रहने में असमर्थता जाहिर की। इसी बीच 24 जून 2017 को प्रार्थी की पत्नी बताई जा रही महिला न्यायिक अधिकारी ने एक अन्य न्यायिक अधिकारी से जोधपुर में शादी कर ली और 30 जून 17 को शादी को पंजीकृत भी करा लिया। राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम में प्रावधान है कि कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता। एेसी शादी तभी संभव है, जब पर्सनल लॉ अनुमति देता हो।
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