13 पूर्व जजों ने दंगों की जांच पर विभाजनकारी ताकतों के अजेंडे पर जताया खेद

दिल्ली पुलिस ने कुछ दिन पहले दंगों को लेकर अदालत में 17,500 पेज की चार्जशीट पेश की थी। चार्जशीट में जिन 15 लोगों को नामजद किया गया है, उनमें प्रमुख नाम आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का है। चार्जशीट में वे लोग ज़्यादा नामजद हैं, जो सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़े हुए थे और जिन्होंने दिल्ली में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए थे। पुलिस ने चार्जशीट में सबूत के तौर पर कॉल डेटा रिकॉर्ड और वॉट्सएप चैट को शामिल किया है। पुलिस ने इन अभियुक्तों पर अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट यानी यूएपीए लगाने के लिए सरकार से अनुमति ले ली है।

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

दिल्ली दंगे में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर उठते सवालों के मद्देनजर 13 पूर्व न्यायाधीशों ने नाराजगी जाहिर की है। विभिन्न हाईकोर्ट के 13 पूर्व न्यायाधीशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है, इनमें हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस भी शामिल हैं। न्यायधीशों ने लिखा है-हम कुछ पूर्व न्यायाधीशों के समूह हैं जो कुछ लोगों के विभाजनकारी एजेंडे को देख रहे हैं।

क्या बाले पूर्व न्यायाधीश
पूर्व न्यायाधीशों ने लिखा है कि उमर खालिद की गिरफ्तारी के संबंध में जो कुछ लोग एजेंडा सेट कर रहे हैं ये वही लोग हैं जो भारतीय लोकतांत्रिक संस्थाओं जैसे सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग और संसद को बदनाम करने का कोई मौका नहीं चूकते। न्यायधीशों का कहना है कि ऐसे लोग खुद संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं और विभाजनकारी एजेंडे को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे लोग इस खयाल में जीते हैं कि देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को उनके हिसाब से काम करना चाहिए।

उमर खालिद की गिरफ्तारी पर ये दी प्रतिक्रिया
पूर्व न्यायाधीशों ने कहा है कि दिल्ली दंगों के संबंध में एक के बाद देशविरोधी गतिविधियों का खुलासा हो रहा है। लेकिन इसी बीच बार-बार जांच प्रक्रिया और ट्रायल पर सवाल खड़े कर संदेह पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उमर खालिद के संदर्भ में ये समझा जाना चाहिए कि बेल के लिए न्यायव्यवस्था में पूरी प्रक्रिया दी हुई। न्याय प्रक्रिया के दौरान किसी को दोषी सिर्फ सबूतों के आधार पर ही सिद्ध किया जा सकता है। फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का मतलब ये नहीं कि इससे किसी भी अपराध को करने या उसे बढ़ावा देनी की छूट मिल जाती है। राष्ट्रीय एकता को कुछ लोगों की विशेष सोच की कीमत पर बलिदान नहीं किया जा सकता है।

ये हैं खत लिखने वाले पूर्व जज
बी.सी पाटिल (दिल्ली और जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस), के.आर. व्यास (मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस), प्रमोदी कोहली (सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और सीएटी के चेयरमैन), एस.एम सोनी (गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और गुजरात के लोकायुक्त)। इनके अलावा भी विभिन्न हाईकोर्ट के जजों ने इस खत पर हस्ताक्षर किए हैं।

कई पूर्व आईपीएस भी लिख चुके हैं खत
गौरतलब है कि दिल्ली दंगे में पुलिसिया जांच पर उठते सवालों को लेकर कई पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों ने भी खत लिखकर नाराजगी जाहिर की थी. अधिकारियों का कहना था कि बाहरी प्रेशर बनाकर जांच की प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

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