राजस्थान में नौकर शाही से आजिज़ भाजपा सांसद
राजस्थान में सांसदों और ब्यूरोक्रेसी के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के बाद अब पाली सांसद पीपी चौधरी ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पिछले महीने सिरोही में कोरोना लैबोरेटरी के उद्घाटन में सांसद देवजी पटेल को न बुलाए जाने को लेकर अधिकारियों और सांसद पटेल के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला था. इसके बाद सांसद देवजी पटेल ने प्रभारी मंत्री भंवर सिंह भाटी की मौजूदगी में अधिकारियों को जमकर फटकारा था. लेकिन गहलोत का वरदहस्त होने के कारण नतीजा वही ढाक के 3 पात.
राजस्थान(ब्यूरो):
कांग्रेसनीत गहलोत की राजस्थान सरकार की अफसरशाही के खिलाफ छिटपुट शिकायतें तो प्रदेश के सांसदों की ओर से लगातार की जाती रही है, लेकिन अब ब्यूरोक्रेसी के रवैये से आहत एक और सांसद ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है. पाली सांसद पीपी चौधरी ने मुख्य सचिव राजीव स्वरूप को चिट्ठी लिखकर कड़े शब्दों में ऐतराज जताते हुए कहा कि है कि अगर अफसरशाही का रवैया नहीं सुधरा तो उन्हें प्रोटोकॉल की पालना नहीं होने को लेकर संसदीय समिति की शरण में जाना पड़ेगा. इससे पहले नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल संसदीय समिति के सामने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठा चुके हैं
विज्ञापनों में सांसदों की जगह छप रहे अधिकारियों के फोटो
सांसद ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि उनके संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर के अधिकारी सांसद के प्रोटोकॉल की कतई पालना नहीं कर रहे हैं. शिलान्यास और उद्घाटन समारोह में छपने वाले बैनर, पोस्टर और शिलालेखों से या तो सांसद का नाम गायब कर दिया जाता है या वरीयता क्रम में सांसदों का नाम नीचे लिख दिया जाता है. सांसद ने यह भी लिखा कि अखबारों और टीवी विज्ञापनों में सांसदों की जगह अधिकारियों का नाम और फोटो छप रहे हैं जबकि इस संदर्भ में भारत सरकार के कार्मिक (DOPT) मंत्रालय की स्पष्ट गाइड लाइन है कि प्रोटोकॉल के अनुसार ही सांसदों को जगह मिलनी चाहिए.
पीपी चौधरी ने कड़े शब्दों में मुख्य सचिव को लिखा है कि प्रदेश की मशीनरी भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार काम करें अन्यथा उन्हें यह मुद्दा संसदीय समिति के सामने उठाना पड़ेगा. चौधरी ने यह भी लिखा कि अधिकारियों के नाम और फोटो विज्ञापनों में छापने के लिए जनता के संसाधनों का उपयोग नहीं होना चाहिए और ऐसा होने पर संबंधित अधिकारी से ही पूरी वसूली की जाए. पीपी चौधरी ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की दिसंबर 2011 की उस गाइड लाइन का हवाला देते हुए सर्कुलर की कॉपी भी पत्र के साथ नत्थी की है जिसमें सांसदों के अधिकारों, प्रोटोकॉल और प्रिविलेज के बारे में विस्तार से बताया गया है.
बार-बार कहने के बावजूद अधिकारी मान नहीं रहे हैं
चौधरी ने कार्मिक मंत्रालय के उस सर्कुलर का हवाला देते हुए लिखा है कि नियमानुसार अधिकारियों को सांसदों के टेलिफोनिक संदेश या जनहित के कामों को लेकर कही गई बातों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए लेकिन मेरे संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर में अधिकारियों को बार-बार कहने के बावजूद लगातार ऐसा किया जा रहा है.
पहले से प्रिविलेज की पेशी पर आ रही है टॉप ब्यूरोक्रेसी
सांसदों और प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के बीच यह दूसरा मौका है जब दोनों के बीच सीधा टकराव देखने को मिला है. इससे पहले नवंबर 2019 में बाड़मेर जिले के बायतु इलाके में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और सांसद हनुमान बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले के बाद एफआईआर दर्ज न करने को लेकर बेनीवाल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को संसद की कमेटी तक घसीट चुके हैं. इस मामले में प्रदेश के डीजीपी और मुख्य सचिव दो बार प्रिविलेज कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं.
सांसद देवजी पटेल भी लगा चुके हैं अधिकारियों को फटकार
पिछले महीने सिरोही में कोरोना लैबोरेटरी के उद्घाटन में सांसद देवजी पटेल को न बुलाए जाने को लेकर अधिकारियों और सांसद पटेल के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला था. इसके बाद सांसद देवजी पटेल ने प्रभारी मंत्री भंवर सिंह भाटी की मौजूदगी में अधिकारियों को जमकर फटकारा था.
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