Tuesday, November 26

हरियाणा कांग्रेस में पिछले कई बरसों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। यही हाल पंचकूला में भी है।

सारिका तिवारी, पंचकुला – 03 जुलाई

हरियाणा महिला कांग्रेस में पिछले कई बरसों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। यही हाल पंचकूला में भी है। खबर है कि अंजली बंसल के बाद पंचकूला की एक और नेत्री अब कांग्रेस छोड़ने की तैयारी में है। पार्टी में महत्वपूर्ण पद पर आसीन यह नेत्री एक ओर जहाँ मौजूदा नेताओ की कार्यशैली से नाखुश हैं वहीं प्रदेश के आला नेता भी उनकी उपेक्षा करते हैं। पार्टी के आंतरिक सूत्रों की मानें तो पार्टी की वर्तमान अध्यक्ष सैलजा बहुत ही कम लोगों की पसंद हैं, दूसरे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि सैलजा का किसी को माफ न करने का स्वभाव भी पार्टी में सौहार्द को ठेस पहुंचने का कारण है।

वर्ष 2019 में पंचकूला विधानसभा की टिकट के बहुत से दावेदार थे लेकिन दिल्ली में ज़्यादातर दो महिला उम्मीदवारों के नाम ही एक दूसरे से होड़ में थे लेकिन डॉ अशोक तंवर के खेमे के सभी लोगों को प्रदेश अध्यक्ष ने खारिज कर दिया। परिणामस्वरूप केवल एक ही उम्मीदवार ऐसी थीं जो स्वयं और बाकी कांग्रेसी यही समझ रहे थे कि पंचकूला की सीट उनकी झोली में पड़ गई लेकिन स्क्रीनिंग समिति के सदस्यों ने इस नेत्री को टिकट देने की बजाए पंचकूला की सीट भाजपा को परोसना बेहतर समझा और राजनैतिक पटल पर से ओझल हुए चन्द्रमोहन बिश्नोई को यहाँ से उम्मीदवार बनाया गया ।

आजकल देखने सुनने में आ रहा है कि हरियाणा महिला काँग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा चौहान लगातार अपनी पुरानी टीम के सम्पर्क बनाये हुए हैं। पिछले दिनों चंडीगढ़ पंचकूला के अपने दौरे के दौरान वह कांग्रेस पार्टी से मायूस नेत्रियों से मिलीं। सूत्रों की मानें तो जीरकपुर के एक होटल में बाकायदा महिला कांग्रेस की पदाधिकारियों से अनऔपचारिक बैठक की गई ।

सनद रहे सुमित्रा चौहान के जाने के बाद हरियाणा महिला कांग्रेस अध्यक्ष पर स्थाई नियुक्ति पर अभी भी निर्णय नहीं लिया जा सका। अभी तक कार्यकारी अध्यक्ष से ही काम चलाया जा रहा है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष पद के लिए सभी बड़े नेताओं ने अपनी सूचियाँ तैयार रखी हैं। परंतु किसी भी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही। वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष न तो वरियता के आधार पर और न ही पार्टी के आकाओं की पसन्द हैं हालाँकि आजकल प्रदेशाध्यक्ष सैलजा के आसपास ज़रूर दिखाई देती हैं। यहाँ तक कि सैलजा को खुश करने या कि यूँ कहें कि कार्यकारी अध्यक्ष पद पर पक्का होने की उम्मीद से अपनी टीम से भी किनारा कर लिया है। लेकिन पता नहीं वह क्यों नहीं जान पा रहीं कि स्थाई नियुक्ति भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद से ही होगी।

आपको याद होगा जब डॉ अशोक तँवर को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया उस समय भी हुड्डा ही पार्टी की प्राथमिकता थे, इसकी एवज में सुमित्रा चौहान को महिला कांग्रेस की कमान सौंपी गयी थी।

अब केवल अनुभवहीन महिलाएं इनके आसपास दिखती हैं। पंचकूला, आसपास और अन्य जिलों से महिलाओं को शिकायत है कि कार्यकारी अध्यक्ष की ओर से किसी भी कार्यक्रम की सूचना उन्हें नहीं पहुंचती। सच तो यह कि सोशल मीडिया और मीडिया पर कार्यकारी अध्यक्ष के साथ केवल एक या दो महिलाएं ही महिला कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करती नज़र आती हैं। दबी आवाज़ में कार्यकर्ता कहती हैं कि सैलजा मात्र एक तिनका हैं जिसका सहारा लेकर पार नहीं उतरा जा सकता

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