दादुपुर नहर की घटिया मरम्मत से नाराज़ स्थानीय निवासी
दादुपुर के पास टूटी नहर की मरम्मत पुरानी बिल्डिंग के मलबे से की जा रही है जो की आने वाले बरसात के मौसम में बहुत ही घातक सिद्ध होने वाली है। यदि आने वाले समय में इस नहर को लेकर कोई आपदा आती है तो वह मानव निर्मित होगी, जिसका खामियाजा कई गांवों को जान माल के नुकसान से उठाना पड़ेगा। गाँव वाले इस बात से नाराज़ हैं की मरम्मत इत्यादि में पूरी प्रक्रिया नहीं निभाई जा रही और न ही सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन मिल रहा है।
कोशिक खान, छछरौली:
दादूपुर गांव के पास टूटी नहर की पटरी को पुरानी बिल्डिंग का मलबा डालकर दुरुस्त किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा नहर के किनारे मरम्मत करने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। जिस जगह पर पुरानी बिल्डिंग का मलवा डालकर नहर के किनारे दुरुस्त किए जा रहे है। वहां से दोबारा बरसात में नहर की पटरी टूट पूरा गांव इसकी जद में आ सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि मिट्टी व पुराने बिल्डिंग मटेरियल से बनाए गए नहर के किनारे कितने मजबूत हो सकते हैं। इसका अंदाजा तो सभी लगा सकते हैं।
दादूपुर से बुढ़िया जाने वाली नहर की पटरी दादूपुर गांव के पास से क्षतिग्रस्त हो गई थी। सिंचाई विभाग द्वारा टूटी हुई नहर की पटरी में दादूपुर सिंचाई विभाग कैंप से तोड़ी जा रही पुरानी बिल्डिंग के मटेरियल को वहां पर डालकर नहर के किनारों को दुरुस्त कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि क्षतिग्रस्त नहर की पटरी को अच्छी तरह मजबूती व कंक्रीट डालकर रिपेयर किया जाना चाहिए था। ताकि भविष्य में इस जगह से कभी पटरी न टूटती। सिंचाई विभाग मजबूत और टिकाऊ काम करने की बजाय टूटी हुई नहर की पटरी में मिट्टी व पुरानी बिल्डिंग के मटेरियल डालकर खानापूर्ति कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह खानापूर्ति आखिरकर कितनी कामयाब होगी इसका अंदाजा तो आने वाली बरसात मे लग ही जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह से पटरी क्षतिग्रस्त हुई है। अगर वहां से नहर की पटरी टूट गई तो इसका खामियाजा कई गांव को भुगतना पड़ेगा। सिंचाई विभाग रिपेयर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने में लगा हुआ है।
उनका कहना है कि यह पहली बार देखा गया है कि पटरी रिपेयर का कार्य मिट्टी व पुराने बिल्डिंग मटेरियल डालकर किया जा रहा है। उनका कहना है कि विभाग द्वारा की जा रही इस लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। ग्रामीणों का कहना है कि सिंचाई विभाग में बाढ़ बचाव राहत कार्य व नहरों के किनारों की रिपेयर आदि के कार्य बाकायदा टेंडर प्रणाली से कराए जाते हैं। जिसमें पत्थर व कंक्रीट द्वारा सभी कार्य किए जाते हैं। जिनकी मजबूती भी होती है। आबादी के बीचो बीच बहने वाली नहर के किनारों पर तो विशेष ध्यान दिया जाता है। उनको पक्की कंक्रीट द्वारा रिपेयर किया जाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि मिट्टी व पुराने बिल्डिंग के मटेरियल डालकर किनारों की मरम्मत करना यह किस पॉलिसी के तहत कार्य किया जा रहा है। लोगों की मांग है कि नहर की पटरी को कंकरीट से रिपेयर कराया जाए। ताकि उसकी मजबूती बनी रहे और दर्जनों गांव इसकी चपेट में आने से बच जाएं। सिंचाई विभाग एसडीओ दादूपुर राजेश यादव का कहना है कि लाॅक डाउन की वजह से रिपेयर का टेंडर नहीं हुआ है। नहर की पटरी पर पुरानी टूटी हुई बिल्डिंग का मलवा बिना किसी रिकॉर्ड के ही डलवाया गया है। जब टेंडर होगा तो एस्टीमेट के हिसाब से किनारों की रिपेयर का कार्य मजबूती से कराया जाएगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!