संवैधानिक संकट से गुज़र रहा मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में आज से बजट सत्र आरंभ होगा, लेकिन अल्पमत की सरकार बजट कैसे पेश करेगी? कमलनाथ फ्लोर टेस्ट से बचने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, विधानसभा स्पीकर उनके दल के हैं अत: वह भी इसी प्रयास में हैं की किसी भी तरह बजट सत्र आरंभ हो जाये, उसके बाद ही शक्ति परीक्षण हो। परंतु जब पता है की सरकार गिर जाएगी तो बजट कैसा पेश किया जाएगा, आने वाली सरकार के लिए आत्मघाती ही न हो अथवा बजट में अपनों ही को रेवड़ियाँ बाँट दीं गईं हों। असूलन स्पीकर को राज्यपाल का कहना मानना होता है परंतु कॉंग्रेस से इस बात की अपेक्षा कम ही है।
बीजेपी नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल में देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा सरकार अल्पमत में आ गयी है. लेकिन वो फ्लोर टेस्ट से भाग रही है.हम फिर से फ्लोर टेस्ट की मांग सदन में रखेंगे. उन्होंने कहा-हमने मांग की थी विश्वास मत पहले होना चाहिए.राज्यपाल और सीएम की मुलाकात पर शिवराज सिंह ने कहा कि सीएम कमलनाथ का जवाब बहुत मासूम है. उन्होंने इस बात से इंकार किया कि कांग्रेस के किसी विधायक को बीजेपी ने बंधक बना रखा है.
भोपाल.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य सरकार अपना बहुमत खो चुकी है और इसी कारण से फ्लोर टेस्ट से बचना चाह रही है.
शिवराज बोले, ‘मध्य प्रदेश सरकार बहुमत खो चुकी है. हम सोमवार को विधानसभा में सरकार से बहुमत साबित करने की मांग करेंगे. मुख्यमंत्री यह कह चुके हैं कि वे फ्लोर टेस्ट चाहते हैं, फिर इससे भाग क्यों रहे हैं. हमारी मांग सिर्फ फ्लोर टेस्ट कराने की है.’ बता दें कि बीजेपी के सभी विधायक भी देर रात जयपुर से भोपाल पहुंच गए.
यह हैं प्रावधान:
भारतीय इतिहास में आज तक ऐसा कभी दिखाई नहीं दिया कि बजट किसी भी कारणवश पारित न हुआ हो। क्योंकि बजट संविधान के अनुसार बजट निचले सदन में पेश किया जाता है जिस वजह से इसे पारित ना होने के कोई कारण ही नहीं रहते क्योंकि निचला सदन बहुमत में होता है। परंतु अगर किसी भी कारणवश बजट पारित नहीं होता तो भारतीय संविधान की धारा 116 के अंतर्गत होने वाली वोटिंग मे बजट के विरोध मे वोटिंग अधिक ही तो उस स्थिति में इसे संवैधानिक संकट माना जाता है और नैतिकता के आधार पर मन्त्रीमंडल को। त्यागपत्र दे देना चाहिए क्योंकि तकनीकी रूप से बजट फेल हो गया। इसका अगला पायदान है सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास पेश करना।
सीएम कमलनाथ द्वारा भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने के आरोप पर जवाब देते हुए कमलनाथ ने कहा, ‘किसी भी विधायक को बंधक नहीं बनाया गया है, राज्य सरकार इन्हें सुरक्षा प्रदान क्यों नहीं कर पा रही.’
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण होगा लेकिन फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, इस पर संशय बरकारार है. दरअसल, विधानसभा की कार्यसूची में बहुमत परीक्षण का विषय नहीं है. केवल राज्यपाल के अभिभाषण का जिक्र है.
इधर, विधायक दल की बैठक में सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा कि 21 विधायक बंधक बना लिया गया तो फ्लोर टेस्ट का क्या औचित्य? ऐसे में सवाल यह भी है क्या कमलनाथ राज्यपाल के आदेश की अनदेखी करेंगे. उधर, फ्लोर टेस्ट पर विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति का कहना है कि कल फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, ये काल्पनिक प्रश्न है. राज्यपाल आदेश दे सकते हैं या नहीं, इसकी व्याख्या भी सोमवार को होगी.
कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार
कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार है. बेंगलुरू से बाकी 16 बागियों ने भी स्पीकर को चिट्ठी भेजकर कहा कि भोपाल नहीं लौटेंगे, इस्तीफा मंजूर करें. बीजेपी ने एक व्हिप जारी करके अपने विधायकों को सोमवार को विधानसभा में उपस्थित रहने और बीजेपी के पक्ष में वोट देने के लिए कहा है. भोपाल में राज्यपाल से रविवार को बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव ने मुलाक़ात की. हाथ उठवाकर वोटिंग की मांग की. उन्होंने कहा कि स्पीकर राज्यपाल की बात मानने के लिए बाध्य है.
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