‘परीक्षा पे चर्चा’ में मोदी ने दिये छात्रों को तनाव मुक्त रहने के मंत्र

पीएम मोदी ने बच्चों से परीक्षा के तनाव को दूर रखने, तकनीक का सही उपयोग, शिक्षा का महत्व जैसे विषयों पर चर्चा की. घर में एक कमरा टेक्नॉलजी मुक्त हो जिसमें अपने परिवार के साथ भी कुछ वक्त बितायेँ।

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ की. इस दौरान पीएम मोदी से देश भर के छात्रों से सवाल किए जिनके उन्होंने जवाब दिए. पीएम मोदी ने बच्चों से परीक्षा के तनाव को दूर रखने, तकनीक का सही उपयोग, शिक्षा का महत्व जैसे विषयों पर चर्चा की. बता दें ‘परीक्षा पे चर्चा का यह तीसरा संस्करण था’. 

पीएम मोदी ने छात्रों से कहा, ‘फिर एक बार आपका यह दोस्त आपके बीच में है. सबसे पहले मैं आपको नववर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं’. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा आपके माता-पिता का बोझ थोड़ा हल्का करना चाहिए’ पीएम मोदी ने कहा ‘छात्रों से संवाद करके मुझे बहुत आनंद आता है. यह कार्यक्रम दिल को छू लेने वाला है’  

प्रधान मंत्री मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा क घर में एक कमरा टेक्नॉलजी मुक्त हो जिसमें अपने परिवार के साथ भी कुछ वक्त बिताना चाहिए यह सबसे अधिक तनाव मुक्त करने वाला समय होगा।जहां आप सोशल मीडिया इंटरनेट इत्यादि से दूर अपने परिवार के सान्निध्य में बैठ कर कुछ समय बिताएँगे, जब सारा परिवार स कमरे में होगा तो परिवार आपस में एक दूसरे को अधिक समझेगा आप उतना ही तनाव मुक्त हो अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे।

‘यह महत्वपूर्ण दशक है’ 
पीएम मोदी ने कहा, ‘2020 सिर्फ नया वर्ष नहीं है, यह नया दशक भी है. यह दशक आपके लिए जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही देश के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें इस समय जो 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी हैं, उनका बहुत योगदान रहेगा’

परीक्षा जीवन नहीं है
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो.’ 

उन्होंने कहा, ‘जाने अनजाने में हम उस दिशा में चल पड़े हैं जहां सफलता-विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं में हासिल किए गए मार्क्स बन गए हैं. इसकी वजह से मन में यही रहता है कि एक बार मार्क्स ले आऊं बाकी सब बाद में करूंगा. केवल परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं हैं. कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है. ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए.’

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