चंडीगढ़ में मेयर पद के लिए राजबाला बनीं भाजपा की पसंद

चंडीगढ़: 

चंडीगढ़ को 10 जनवरी को नया मेयर मिल जाएगा. बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद के लिए अपने नामांकन भर दिए हैं. भाजपा ने राजबाला म‍लिक को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है. जबकि सीनियर डिप्टी मेयर के लिए रविकांत शर्मा व डिप्टी मेयर के लिए जगतार जग्गा के नाम पर मुहर लगायी है. तीनों उम्मीदवारों ने सांसद किरण खेर, संगठन मंत्री दिनेश कुमार, प्रदेशअध्यक्ष संजय टंडन, पुर्व सांसद सत्यपाल जैन औऱ अन्य सभी पार्षदों की मौजूदगी में नामांकन भरा. वहीं कांग्रेस ने मेयर सहित तीनों पदों पर महिलाओं को मैदान में उतारा है.

काग्रेंस की तरफ से  मेयर पद के लिए गुरबख्श रावत, सीनियर डिप्टी मेयर पद पर शीला फूल सिंह और डिप्टी मेयर पद पर रविंदर कौर गुजराल को उम्मीदवार बनाया गया है. मेयर पद के उम्मीदवार को लेकर भाजपा में दो नामों पर खूब चर्चा रही. पार्टी ने भी इस पर अंत तक सस्पेंस बरकरार रखा.

भाजपा की ओर से मेयर पद के लिए दो पार्षदों राजबाला मलिक और हीरा नेगी में कड़ा मुकाबला देखने को मिला. इसको लेकर पार्टी के भीतर भी काफी दिनों से गहमागहमी चल ही रही थी इसलिए अंत में भी यह फैसला बंद कमरे में लिया गया. जिसमें भाजपा के सभी मुख्य लीडर मौजूद थे.

पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि भाजपा अपने मेयर पद के उम्मीदवार की घोषणा रविवार शाम तक कर देगी लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं की अल्ग अल्ग राय के कारण हाईकमान ऐसा नहीं कर पाई. मेयर पद के लिए उम्मीदवार का नाम फाइनल करने चंडीगढ़ आए पार्टी प्रभारी प्रभात झा ने पार्षदों द्वारा ली गई राय पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय संगठन मंत्री और अध्यक्ष अमित शाह को सौंपी. शाह की मंजूरी लेने के बाद हाईकमान की ओर से नाम तय करके इसकी जानकारी संगठन मंत्री दिनेश कुमार को दे दी गई.  

सांसद किरण खेर ने कहा कि सभी पार्षदों की राय ली गई है जिसके बाद ही निर्णय लिया गया है. उन्होनें कहा हर किसी को दावेदारी पेश करने का हक है. खेर ने कहा पार्टी का फैसला हर किसी को मंजूर होना चाहिए. उन्होनें कहा पिछले दो सालों में हुए मेयर चुनावों में क्राॅस वोटिंग हुई थी जिसको गंभीरता से लिया गया कि ऐसा फिर से न हो इसलिए पार्टी के आला नेताओं को यहां भेजा गया और नाम मांगे गए और सबकी राय जानने के बाद ही फैसला लिया गया.

सांसद खेर ने कहा कि भाजपा के हर मेयर ने शहर के विकास के लिए बहुत काम किया है. लेकिन राजेश कुमार कालिया ने सबका दिल जीत लिया. शहरवासियों को 29 एमजीडी पानी, डपिंग ग्राऊंड से निजात दिलवाना और कई अहम कदम उनकी तरफ से उठाए गए. पानी के रेट बढ़ाने को लेकर सांसद खेर ने कहा कि रेट नहीं बढाएगें या टेक्स नहीं लगाएंगें तो रेवेन्यू कैसे जेनरेट करेंगें.

उन्होनें कहा वो हमेशा से केंद्र से शहर के लिए पर्याप्त फंडस लाईं है लेकिन प्रशासन और नगर निगम को भी तो रेवेन्यू जेनरेट करना होगा.

राजबाला मलिक का नाम फाईनल होने के बाद उन्होनें कहा कि हर कोई कोशिश करता है और उन्होनें भी दावेदारी पेश की थी. मलिक ने कहा उनकी प्राथमिकता शहर का विकास करना है पिछले सालों ने भाजपा ने कई काम शूरू किए है उन्हीं को वो आगे बढ़ाएगीं. बता दें राजबाला मलिक इससे पहले 2012 में भी नगर निगम की मेयर रह चुकी हैं.

मेयर बनने के समय राजबाला मलिक कांग्रेसी पार्षद थी. साल 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान राजबाला मलिक भाजपा में शामिल हो गई थी.वहीं राजबाला मलिक के साथ साथ मेयर पद की रेस में शामिल हीरा नेगी ने कहा कि उन्हें पार्टी का निर्णय मंजूर है उनके भाग्य में जो लिखा है वो उन्हें मिलेगा.

इस दौरान वो भाजपा में किस किस पद पर रही और उन्होनें पार्टी में कौन कौन सी सेवाएं दी है वो भी गिना दी. दरअसल हीरा नेगी हमेशा से भाजपा का हिस्सा रही जबकि राजबाला मलिक काग्रेंस पार्टी से भाजपा में आयी है. नेगी के चेहरे पर इसलिए भी मायुसी देखने को मिली क्योकिं हीरा नेगी को दूसरी बार मेयर पद से हाथ धोना पड़ा है.

मेयर चुनाव के लिए भाजपा से पहले कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी. कांग्रेस ने मेयर सहित सभी 3 पदों पर महिलाओं को मैदान में उतारा है. उम्मीदवारों का ऐलान कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने किया. मेयर पद के लिए गुरबख्श रावत का नाम फाइनल किया गया है.

जबकि सीनियर डिप्टी मेयर पद पर शीला फूल सिंह और डिप्टी मेयर पद पर रविंदर कौर गुजराल को उम्मीदवार बनाया गया. काग्रेंस से मेयर पद की उम्मीदवार गुरबख्श रावत ने कहा कि भले ही हमारे पार्षद कम है लेकिन हमें हमेशा भाजपा के बीच गुटबाज़ी का फायदा मिलता है. और 10 जनवरी को देखिए होता है क्या.

गौरतलब है पिछले दो साल से मेयर चुनाव में दो बार भाजपा में बगावत हो चुकी है. पिछले साल 2019 में जब पार्टी ने राजेश कालिया को उम्मीदवार बनाया तो सतीश कैंथ ने बगावत करके निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा था. जिसमें कैंथ को कांग्रेस का समर्थन मिला और भाजपा के पांच वोट क्रॉस हुए.

जबकि साल 2018 में जब पार्टी ने देवेश मोदगिल को मेयर का उम्मीदवार बनाया तो टंडन गुट से पूर्व मेयर आशा जसवाल से बागी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया था. हालांकि बाद में पार्टी आशा जसवाल का नामांकन वापस करवाने में कामयाब भी रही. पांच पार्षदों के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए 14 वोट की जरूरत है. वहीं भाजपा के 20 पार्षद हैं. ऐसे में कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए भाजपा पार्षदों में चल रही गुटबाजी से फायदा मिलने की उम्मीद है.

बता दें कुल 27 वोट शहर का मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर तय करते हैं. इनमें से 26 वोट पार्षदों के होते है और 1 वोट सांसद का. फिलहाल भाजपा के पास 19 पार्षद है और भाजपा की गठजोड़ पार्टी अकाली दल का 1 पार्षद है, 1 पार्षद निर्दलीय है 5 पार्षद कांग्रेंस के है. मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए वोट 10 जनवरी को डाले जाएंगें और उसी दिन ही फैसला भी जाएगा.

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