पंकजा मुंडे ने बगावती तेवरों से चेताया

देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री रहीं पंकजा मुंडे को विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत परली सीट से हार का सामना करना पड़ा था. पंकजा को चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने करीब 30000 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी. अभी हाल ही में शरद पवार और पंकजा ने मंच सांझा किया था, मौका था स्वर्गीय गोपनाथ मुंडे की प्रतिमा का अनावर्ण।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

 महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी की नेता पंकजा मुंडे ने फेसबुक पोस्ट के जरिए बगावत के संकेत दिए हैं. पंकजा ने पिता गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर 12 दिसंबर को अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई है. इस दौरान बीजेपी की दिग्गज नेत्री बड़ा फैसला ले सकती हैं. अपनी फेसबुक पोस्ट में पंकजा लिखा, ”चुनाव में हार के बाद समर्थकों ने मुझसे मिलने के लिए कई फोन और संदेश किए, लेकिन राजनीतिक स्थिति के कारण मैं उनसे बात नहीं कर सकी.”

बीजेपी नेत्री ने लिखा, ”8 से 10 दिन बाद मैं आपको समय देने जा रही हूं. इन आठ से दस दिनों के लिए मुझे खुद से थोड़ी बातचीत करने का समय चाहिए. आगे क्या करना है? किस रास्ते से जाना है? हम अपने लोगों को क्या दे सकते हैं? आपकी ताकत क्या है? लोग क्या उम्मीद करते हैं? मैं इस सब पर विचार करते हुए 12 दिसंबर को आपके पास आऊंगी.”

सोशल मीडिया पोस्ट में पंकजा लिखती हैं, “मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ है. मुझे यकीन है कि मेरे सभी सैनिक रैली में भाग लेंगे.”

पंकजा मुंडे

नमस्ते, मैं पंकजा गोपीनाथ मुंडे …
चुनाव के बाद, चुनाव का परिणाम था। हम सभी ने राजनीतिक मामलों, कोर कमेटी की बैठकों, पार्टी की बैठकों, परिणामों के बाद देखा। मेरे हारने के कुछ समय बाद, मैंने मीडिया में जाकर इसे स्वीकार कर लिया। और अनुरोध किया कि इसके लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए। सारी जिम्मेदारी मेरी है।
अगले दिन, मैंने एक पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में भी भाग लिया।
‘पहले देश, फिर पार्टी और अंत में खुद’ के संस्कार बचपन से हमारे साथ होते रहे हैं। छोटी उम्र से, मुंडेसाहेब ने सिखाया है कि लोगों के प्रति हमारे कर्तव्य से बड़ा कुछ नहीं है। उनकी शिक्षाओं के अनुसार, मैंने अपनी मृत्यु के बाद तीसरे दिन काम करना शुरू किया।
उन्होंने पांच साल तक सत्ता में रहकर आपकी सेवा की। मुझे यह सेवा केवल और केवल आपके विश्वास के कारण प्राप्त हुई, और आज, मेरी हार के बाद, मेरे लोगों ने मुझे बहुत सारे संदेश, इतने कॉल, इतने संदेश दिए हैं। “हमें यात्रा करने के लिए समय लें,” ताई “हमें आपको देखने दें” … आपने मेरे लिए कितनी भावनाएं व्यक्त कीं।
मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। मुझे पूरी जानकारी है कि आपका प्यार मुझमें है और वह मेरा कवच है। मुंडेसाहेब ने मुझे एक पल के लिए राजनीति में ला दिया। एक पल में, उन्होंने हमें भी छोड़ दिया। मुंडेसाहेब के आदेश के रूप में मैं पहली बार राजनीति में आया, और मुंडेसाहेब के बाद, मैं लोगों की जिम्मेदारी के रूप में राजनीति में रहा। इन सभी बदलते संदर्भों को देखते हुए, राजनीति में बदलाव, जिम्मेदारी में बदलाव, हम सभी को अपनी अगली यात्रा के बारे में निर्णय लेने की आवश्यकता है।
आप मुझसे समय पूछ रहे हैं .. मैं आपको समय देने जा रहा हूं …
आठ से दस दिन बाद … इन आठ से दस दिनों में मुझे खुद से थोड़ी बातचीत करने के लिए समय चाहिए। आगे क्या करना है? किस रास्ते से जाना है? हम अपने लोगों को क्या दे सकते हैं? आपकी ताकत क्या है? लोग क्या उम्मीद करते हैं? मैं इस सब पर विचार करते हुए 12 दिसंबर को आपके पास आऊंगा।
12 दिसंबर, यह नेता मुंडे साहब का जन्मदिन है … उस दिन, आप मुझसे बात करेंगे जैसे आप मुझे देखना चाहते हैं। मैं महाराष्ट्र के लोगों के बारे में बात कर रहा हूं … मैं आपसे बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं। तुम्हारे बिना मेरा कौन है?
आप 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ में देखें !!
क्या तुम सब आओगे? ठीक वैसा ही मावला आएगा !!!!

पंकजा अपने पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की जयंती 12 दिसंबर पर शक्ति प्रदर्शन करने जा रही हैं. इस दौरान वह महाराष्ट्र के अपने समर्थकों को संबोधित करेंगी.

देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री रहीं पंकजा मुंडे को विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत परली सीट से हार का सामना करना पड़ा था. पंकजा को चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने करीब 30000 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी.   

दरअसल, महाराष्ट्र में सरकार बनाने में नाकाम रहने के बाद बीजेपी आंतरिक विरोध का सामना कर रही है. इससे पहले पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे भी विधानसभा चुनाव में पार्टी की विफलता और बाद में एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ गठबंधन करने पर पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ आवाज उठाई थी.

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