पंचकुला में असंतुष्ट चंद्रमोहन के लिए चुनौती रहेंगे

सारिका तिवारी, पंचकुला – 8 अक्तूबर:

पंचकूला में तो चंद्रमोहन को एक तरह से पैराशूट की तरह उतारा गया है इसकी पुष्टि स्वयं पार्टी कार्यकर्ता भी करते नज़र आ रहे हैं।हालांकि उनके समर्थक और पुराने जानकार बहुत खुश हैं सहयोग भी दे रहे हैं लेकिन टिकट की रेस में रहे स्थानीय कांग्रेसी नेता ना तो इस समय उनके लिए वोट मांग रहे हैं और ना ही उनके साथ दिखाई दे रहे हैं पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार एक दो दिन पहले जब चंद्रमोहन की पत्नी ने एक महिला नेत्री से सहयोग माँगा तो उन्होंने सहयोग करने से साफ मना कर दिया। ऐसे में उनके सामने एक बड़ी चुनौती है क्योंकि वह प्रदेश के लोक प्रिय मुख्यमंत्री के बेटे हैं और स्वयं उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं ।

चंद्र मोहन के लिए यह एक सकारात्मक कारण है टिकट की रेस में रहे नेता स्वतंत्र रूप से चुनाव नहीं लड़ रहे हालांकि कुछ नेताओं को क्षेत्रों की तरह इनेलो मैं समर्थन की पेशकश भी की थी अगर वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना चाहें तो उन्हेँ इनेलो समर्थन देगी ।

फिलहाल टिकट न मिलने से नाखुश कांग्रेसी अब चुनाव प्रचार करने की बजाय जागरण और कीर्तनों में अपना समय लगाना पसन्द कर रहे हैं।

चंद्रमोहन नामांकन दाखिलल करते हुए

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं बहुत से उम्मीदवार दोहरे दबाव में चुनाव लड़ रहे हैं एक और तो उन पर पार्टी की ओर से जीत का दबाव है तो दूसरी ओर उनके साथियों का असहयोग और असंतोष।

टिकट वितरण को लेकर नाखुश कांग्रेसी या तो दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए या स्वतंत्र चुनाव लड़ रहे हैं। पहली नजर में देखा जाए डॉ अशोक तँवर के सहयोगी खुलम खुला कांग्रेसी उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं, अगर ध्यान से अगर नजर दौड़ाई जाए तो हुड्डा के खास रहे सांसद और विधायक विरोधियों में शामिल हैं।हालांकि दीपेंद्र और भूपेंद्र हुडा दोनों नाराज कांग्रेसियों को मनाने में जुटे हैं, लेकिन यह एक मुश्किल की घड़ी है , क्योंकि असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा ।
भूपेंद्र हुड्डा के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं क्योंकि बागियों की वजह से समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। दूसरी और शैलजा अपने चिर परिचित अंदाज में एक औपचारिकता के तौर पर कांग्रेसियों से कह रही हैं नाराजगी भुला कर फील्ड में जुट जाएं कार्यकर्ता ।


देखा जाए टिकट मिलने वाले प्रत्याशियों की समस्या बड़ी है जिनके खिलाफ उनके असंतोष साथियों ने मोर्चा खोल रखा है । उन्हें अपने ही क्षेत्र में साथियों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है ऐसे में उनका जीतना बहुत जरूरी होता जा रहा है हालाँकि टिकट वितरण के समय या उससे पहले सभी प्रत्याशियों ने आलाकमान तक एड़ी चोटी का जोर लगाया उनमें से कई अपने आकाओं के माध्यम से टिकट पाने में सक्षम रहे नाराज दावेदारों की मुखालफत ने टिकट पाने वाले साथियों के लिए संघर्ष खड़ा कर दिया है।

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply