पंचकुला को मिला अपना पुस्तकालय
आज पंचकुला निवासियों की एक चिर प्रतीक्षित मांग पूरी हुई, हरियाणा उर्दू अकादमी में अटल अदबी केंद्र/पब्लिक पुस्तकालय का लोकार्पण किया गया।
पंचकूला, 20 सितंबर-
सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा के महानिदेशक श्री समीर पाल सरो व डीजी, विजिलेंस डॉ के पी सिंह ने हरियाणा उर्दू अकादमी के प्रांगण में अटल अदबी केंद्र/पब्लिक लाइब्रेरी का लोकार्पण कर जनता को समर्पित किया। जनता को इस लाइब्रेरी में ऐतिहासिक, राजनैतिक, साहित्यिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, आलोचनात्मक एवं शोधात्मक पुस्तकों के अलावा देशभर की हिन्दी व उर्दू की पत्र-पत्रिकायें पढ़ने को मिलेंगी।
उन्होंने हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों एवं पूर्व में स्थापित लाइब्रेरी का भी अवलोकन किया और निदेशक श्री चंद्र त्रिखा को इस अकादमी में और ज्यादा सुविधाएं बढ़ाने के साथ.साथ भाषा वैज्ञानिकों को पुरस्कार समय.समय पर देने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर उर्दू और हिंदी का लिसानी भाषाई रिश्ता पर आयोजित सेमिनार में हिंदी एवं उर्दू भाषा के उच्च स्तर के विद्वानों ने भाग लिया जिनमें श्री शीन काफ निजामए श्री विज्ञान व्रत, डॉ. अतहर फारूकी, डॉ. माधव कौशिक, डॉ हबीब सैफी के नाम उल्लेखनीय है। उन्होंने भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई के नाम से एक अदबी मरकज और आर्टगैलरी का उद्घाटन किया। इसके अलावा छः पुस्तकों का विमोचन भी किया गया, जिनमें श्री मोहिन्द्र प्रताप चाँद और डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा नाजिम द्वारा लिखी गई पुस्तक उर्दू अदब और हरियाणा एवं अदबी सिलसिले के तहत डॉ. राणा गन्नौरी, श्री मोहिन्द्र प्रताप चाँद, डॉ. कुमार पानीपती, डॉ. के.के.ऋषि, डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा नाजिम पर उर्दू और हिंदी भाषा में लिखी गई किताबें शामिल हैं। सेमिनार में विद्वानों ने दोनों भाषाओं पर अपने.अपने विचार प्रकट किए। सेमिनार के दौरान हिन्दी व उर्दू भाषा के परस्पर संबंध को दर्शाने के लिए लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कुराती है, मैं उर्दू में गजल कहता हूं हिन्दी मुस्कुराती है, नामक थीम का भी लोकार्पण किया गया।
सेमिनार को संबोधित करते हुए डीजी, विजिलेंस डॉ के पी सिंह ने कहा कि हिन्दी और उर्दू भाषा एक है लेकिन इनकी शैलियां दो हैं। दोनों एक दूसरे की पूरक भाषाएं हैं और सभ्यता एवं संस्कार में दोनों का पूर्ण तालमेल देखने को मिलता है। दोनों भाषाओं की जन्मस्थली हिन्दुस्तान है।उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान ऐसा देश है, जहां हर 10 कोस पर बोली, 20 कोस पर परिधान और 40 कोस पर भाषा का परिवर्तन देखने को मिलता है। इसलिए वही भाषा समृद्ध हो सकती है, जिसमें शब्दों के परिवेश को सही रुप से ढाला गया हो और जिसमें दूसरी भाषाओं के शब्दों का भी मेलजोल हो। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा उर्दू की रीढ़ है तो उर्दू भाषा हिन्दी का श्रृंगार है। उन्होंने कहा कि आज के युग में कुछ भाषाएं विलुप्त होती जा रही हैं, इसलिए भाषाओं का लचीला होना आवश्यक है ताकि वे आमजन की भाषा बन सके।
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