जाखड़ की बैठक में अपनि ही सरकार से नाराज़ दिखे कोंग्रेसी नेता-विधायक

चंडीगढ़ – राजविरेन्द्र

पंजाब के सियासी इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई सरकार एक साथ चार उप चुनाव कराने जा रही है। इतनी ज्यादा संख्या में उप चुनावों ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये उप चुनाव सरकार की अग्नि परीक्षा बन गए हैं। चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में आज पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ की अगुवाई में बैठक बुलाई गई जहां पार्टी के दिग्गज नेता ही पार्टी की कार्यशैली से नाराज़ दिखाई दिये दिये।

पहले ही से सांसत में आई काँग्रेस को इन उपचुनावों में अपनों ही से टक्कर मिलती जान पड़ती है। पंजाब के मंत्री विधायक कहीं ना कहीं सरकार से नाराज हैं. क्योंकि नशा बेअदबी और बरगाड़ी कांड के आरोपियों को अभी तक सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाया गया है. हालांकि यह भी सच है की इन चुनावों से सत्ताधारी पार्टी को विधानसभा में कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा लेकिन दूरगामी परिणाम अवश्य ही चौंकाने वाले होंगे।

चंडीगढ़:

 स्थित कांग्रेस भवन में आज पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ की अगुवाई में बैठक बुलाई गई. बैठक में पंजाब के सभी विधायक समेत कई सांसद मंत्री मौजूद रहे. मीटिंग में महात्मा गांधी की शताब्दी को मनाने के लिए विचार विमर्श किया गया और पार्टी की मजबूती कैसे बढ़ाई जाए इस पर चर्चा हुई. वही कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने पर पार्टी ऑफिस के बाहर ही कार्यकर्ताओं ने अपनी ही सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और मांग की कि जल्द जमीनी स्तर पर वर्करों को मान सम्मान दिया जाए.

उधर पार्टी के विधायक बेअदबी, नशा और सरकार की ओर से किए गए वायदों को लेकर खफा नजर आए कि उनकी सरकार को ढाई साल हो चुके हैं और किए गए वादे पूरे नहीं किए गए जिसे लेकर आज वह लोगों के बीच जाने में असमर्थ हो चुके हैं. पिछले दिनों कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 6 विधायकों को मंत्री पद देकर नवाजा था जिसे विपक्ष ने लताड़ते हुए सवाल किया था कि जब खजाना ही पंजाब का खाली है तो क्यों भार डाला जा रहा है.

वहीं विधायक परगट सिंह और कुलबीर सिंह जीरा ने विरोध करते हुए कहा कि परगट सिंह को भी मंत्री पद दिया गया था लेकिन उन्होंने खजाना खाली होने के कारण इंकार कर दिया विधायकों का कहना था कि अगर किसी ने पार्टी या पंजाब हित मे अच्छा काम करना है तो विधायक रहकर भी कर सकता है.

मीटिंग में विधायकों की ओर से पंजाब में ब्यूरोक्रेसी का राज होने के कारण भी पार्टी वर्करों को बेइज्जत होना पड़ता है. जिस कारण मीटिंग मे अपनी ही सरकार से मांग की है कि अगर अभी भी कार्यकर्ताओं का मान सम्मान ना किया गया तो आने वाले चुनावों में परिणाम गंभीर देखने को मिल सकते हैं.

इसलिए विधायक, मंत्रियो को चाहिये कि वह अपने सलाहकार आईएएस आईपीएस ऑफिसर को ना रख कर कार्यकर्ताओं को अपना सलाहकार बनाए. फिलहाल पंजाब में मंत्री विधायक कहीं ना कहीं सरकार से नाराज हैं. क्योंकि नशा बेअदबी और बरगाड़ी कांड के आरोपियों को अभी तक सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाया गया है.

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply