हरदम पाकिस्तान का यशोगान करने वाली महबूबा मुफ़्ती तो मानों अभी भी तक रोटी भी ठीक से नहीं बोल पाती, चौमासे के दौरान जब भारत में विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक यात्राओं के कारण उत्तर भारत बहुत व्यास्त हो जाता है खासकर काश्मीर। इन्हीं दिनों पाकिस्तान की तरफ से घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित उग्रवादी प्रवेश करते हैं। घाटी में सेना का आगमन महबूबा को अखरता है लेकिन वहीं उग्रवादियों के लिए यह पलक पांवड़े बिछाती है। काश्मीर कि यह इकलौती राजनेता हैं जिन्हें घाटी में सेना कि उपस्थिती नहीं मंजूर क्योंकि यह न केवल उग्रवाद को रोकती है अपितु क्षेत्र में नागरिकों के हित का भी ख्याल रखती है जो पिछले 70 वर्षों में इनके परिवार न रख पाये। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सरकार जम्मू और कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करे. हमें कोई नहीं बता रहा है कि आखिर हो क्या रहा है.
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात को लेकर पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. महबूबा मुफ्ती ने राज्य में आर्टिकल 35ए और धारा 370 के मुद्दे पर कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार जो करने जा रही है, उसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि नतीजे इतने खतरनाक हैं कि आने वाले समय में इस प्रदेश और पूरे मुल्क के लिए ये अच्छे नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू और कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करे. हमें कोई नहीं बता रहा है कि आखिर हो क्या रहा है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमने पूरे के लोगों और सरकार को यह समझाने की पूरी कोशिश की कि अगर आर्टिकल 35ए और धारा 370 के साथ छेड़छाड़ की गई तो कितने खतरनाक नतीजे हो सकते हैं. हमने केंद्र सरकार से इस संबंध में अपील भी की, लेकिन सरकार से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. सरकार अपना रुख स्पष्ट करे.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम लोगों ने आज शाम को सर्वदलीय बैठक के लिए होटल बुक किया था. लेकिन लेकिन सरकार और पुलिस की ओर से इसकी इजाजत नहीं मिली. पुलिस की ओर से सभी होटलों को एडवाइजरी जारी करके कहा गया है होटल में किसी भी राजनीतिक पार्टी की बैठक ना होने दी जाए. इसलिए आज शाम 6 बजे मेरे घर पर सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के ऊपर जैसी मुसीबत है, वो पहले कभी नहीं थी. जो बॉर्डर पर हो रहा है, नागरिकों की जान जा रही है, क्लस्टर बम का इस्तेमाल हो रहा है. ये तो इजराइल करता है, पता नहीं क्या हो रहा है. अलगाववादियों के साथ जो करना था, कर लिया, अब मुख्यधारा की पार्टियों के खिलाफ करप्शन को टूल बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं.