गुलाम नबी आज़ाद impact: 2 और कोंग्रेसी विधायकों ने त्यागपत्र सौंपा

आज़ाद के आने का असर यह हुआ कि 2 और विधायकों ने त्यागपत्र सोंप दिये

रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया है.  कांग्रेस के संकटमोचन राज्य सभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद आज बेंगलोर में हुंकार भर रहे थे। वह आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा ओ धोबी पछाड़ देने के लिए और काँग्रेस को कर्णाटक संकट से उबारने गए थे। वह जब राज्यपाल के संदिग्ध आचरण पर पत्रकारों से बातचीत करने में मशगूल थे तब कॉंग्रेस के 2 और नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया इस्तीफा देने वालों की संख्या ग्लाम नबी आज़ाद के जाने के बाद अब 16 हो गयी है। आज़ाद राज्यपाल पर आलोकतांत्रिक तरीके से काम करने का इल्ज़ाम लगा रहे थे। तब स्पीकर काँग्रेस सरकार बचाने की जगत में इस्तीफ़ों में खामियाँ नियालने में तुले थे। कॉंग्रेस भाजपा पर खरीद फ़रोहत के इल्ज़ाम लगा रही थी तो दूसरी ओर वह बागी विधायकों को मंत्री पद दे कर खरीदना चाहती है। जहां कॉंग्रेस राज्यपाल पर दोषारोपण करती है वहीं स्पीकर की भूमिका सीधे सीधे एक तरफा दीख पड़ती है। वैसे त्यागपत्रों का सिलसिला अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे और भी राज्यपालों की भूमिका को संदिग्ध कहा जाने वाला है।

बेंगलुरू: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संकटमोचक गुलाम नबी आजाद ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ अपनी गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कर्नाटक के बागी विधायकआर. रामालिंगा रेड्डी से आग्रह किया कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. यह जानकारी बुधवार को पार्टी ने आधिकारिक तौर पर दी है. पार्टी आलाकमान की सलाह पर, आजाद पार्टी के दर्जन भर उन बागी विधायकों को रोकने के लिए मंगलवार रात बेंगलुरू रवाना हुए थे, जिन्होंने अपनी 13 महीने पुरानी सरकार में अविश्वास जाहिर करते हुए छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इनमें रेड्डी भी शामिल हैं.

पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता रवि गौड़ा के अनुसार, आजाद ने दिन में पहले रेड्डी से फोन पर बात की और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने और गठबंधन सरकार को बचाने में मदद करने के लिए कहा है. गौड़ा ने कहा कि आजाद ने रेड्डी से राज्य के एक अतिथि गृह में मिलने के लिए भी कहा, जहां वह रह रहे हैं. उन्होंने रेड्डी से यह भी कहा कि वह शहर में उनके घर पर उनसे मिलकर गठबंधन सरकार पर आए संकट पर चर्चा करने के लिए भी तैयार हैं.

हालांकि, रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि 66 वर्षीय रेड्डी आठ बार के दिग्गज कांग्रेसी विधायक हैं. आजाद ने सुबह नाश्ते पर हुई एक बैठक में पार्टी के स्थानीय नेताओं राज्य के प्रभारी के. सी. वेणुगोपाल, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा, राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सदस्य बी. के. हरिप्रसाद के साथ संकट पर चर्चा की.

बाद में आजाद ने पत्रकारों से बातचीत में उन राज्यों के राज्यपालों पर आरोप लगाए कि जहां हाल तक कांग्रेस सत्ता में रही है, वहां के राज्यपालों ने भजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर काम करते हुए लोकतंत्र को नष्ट किया. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्यों में राज्यपाल जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे लोग आंदोलित हैं. इस देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है. एक के बाद एक राज्य में विपक्षी सरकारें गिराई जा रही हैं और राजग सरकार उनका (राज्यपाल) उपयोग बोली लगाने में कर रही है.

इस दौरान आजाद ने राज्यपालों और केंद्र सरकार के “अलोकतांत्रिक” तरीकों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील भी की. उन्होंने यहां तक कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने में भाजपा की मदद कर रहे हैं. 

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