कर्नाटक कांग्रेस के सामने आया यह नया संकट जल्द खत्म होने के आसार नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में महेश कुमाथाली, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल भी इस्तीफा दे सकते हैं
बेंगलुरू: कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को झटका देते हुए रमेश जरकीहोली और आनंद सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. रमेश काफी लंबे अरसे से बागी तेवर अपनाए हुए थे. कांग्रेस के सामने यह संकट और बढ़ने के आसार हैं. सूत्रों के मुताबिक, कई अन्य विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं. तीन और विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं. उधर, दो विधायकों के इस्तीफे के बाद, कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने आनन-फानन में अपने आवास पर पार्टी की बैठक बुलाई. उधर, विधानसभा अध्यक्ष ने जारकीहोली के इस्तीफे की खबर की जानकारी होने से इनकार किया है.
विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा, “मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया. मुझे नए राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी है. मैं इस्तीफा तभी स्वीकार करूंगा जब 20 सदस्य इस्तीफा देंगे. मुझे अभी किसी के इस्तीफे की कोई जानकारी नहीं है. मुझे कोई नेता नहीं मिला, यहां तक कि आनंद सिंह भी नहीं.”
जारकीहोली ने लगाया अनदेखी का आरोप
जरकीहोली ने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछले साल मंत्रिमंडल से उन्हें बाहर कर उनकी वरिष्ठता को ‘अनदेखा’ किया. उन्होंने कहा, “मैंने गोकक विधानसभा सीट से पार्टी और गठबंधन की सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया है.” इससे कुछ देर पहले ही, राज्य सरकार द्वारा 3,667 एकड़ भूमि को जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड को बेचने के फैसले से नाराज चल रहे कर्नाटक कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह ने सोमवार को राज्य के उत्तर पश्चिमी बेल्लारी जिले में विजयनगर विधानसभा सीट से अपना इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने पत्रकारों से कहा, “मैं गठबंधन सरकार द्वारा जिंदल स्टील कंपनी को जमीन बेचने के फैसले से नाखुश हूं. इसलिए मैंने अपना त्यागपत्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार के आवास पर जाकर उन्हें सौंप दिया है.”
ये तीन विधायक भी दे सकते हैं इस्तीफा
सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में महेश कुमाथाली, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल भी इस्तीफा दे सकते हैं. दो विधायकों के इस्तीफे ऐसे समय आए हैं, जब राज्य में कांग्रेस-जेडीएस के बीच तालमेल कम होता नजर आ रहा है. हालांकि दोनों पार्टियों ने बार-बार यही कहा कि गठबंधन को लेकर कोई समस्या नहीं है और सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.