आबकारी विभाग की छापेमारी में पड़ी गयी आई पेटी अवैध शराब

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अशोक वर्मा और पंकज गुप्ता

demokraticfront.com की खबर “प्रशासन की अनदेखी, धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब “ का असर यह रहा कि आबकारी विभाग द्वारा पुलिस कि सहायता से की गयी छापेमारी में कई पेटी अवैध शराब पकड़ी गयी

पिछले दिनों www.demokraticfront.com द्वारा शहर में अवैध रूप से बिक रही शराब के मामले को उजागर करने के बाद आबकारी विभाग नींद से जाग गया और जगह जगह छापेमारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में मदनपुर,कुण्डी, महेशपुर से भारी मात्रा में देसी शराब की पेटियां बरामद कीं। पर पुलिस और आवकारी विभाग कानून और नीतियों की आड़ लेकर स्वयं का जिम्मेदारीयों से पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे है इस कड़ी में जब demokratic front ने पुलिस उपायुक्त ‘कमलदीप गोयल’ से बात की तो उन्होंने इसे कानून व्यवस्था का मामला मानने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं इस मामले के बारे में पूछे जाने पर अपना पक्ष साफ करते हुए गोयल ने अवैध शराब की तुलना हेलमेट न पहनने से कर दी उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हेलमेट न पहनने कोई जुर्म नही उसी प्रकार पुलिस शराब की अवैध बिक्री करने वाली के खिलाफ कोई कानूनी कायरवाई नही करती ।
देखा जाए तो कानून और नीतियों के अनुसार गोयल का कथन सही भी है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अवैध शराब से सम्बंधित पुलिस की शक्तियां आबकारी विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थीं।

इसके अतिरिक्त आबकारी विभाग की मदद के लिए सिर्फ एक पुलिस कर्मी दिया गया है। पंचकूला पुलिस अति आत्मविश्वास से भरपूर है कि उसे ऐसा लगता है कि अवैध शराब माफिया को काबू करने के लिए एक पुलिस कर्मी ही पर्याप्त है क्योंकि कानून और नीति पूरी तरह से पुलिस को ज़िम्मेदारी से मुक्त नही करती कानून की धारा 1 और 61के तहत पुलिस इस पर कार्यवाही कर सकती है और आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है लेकिन बात चीत के दौरान उपायुक्त ने ऐसा किसी भी प्रवधान के होने से इनकार किया।
सामाजिक और नैतिकता के आधार पर देखा जा रहा है कि यह एक अजीबोगरीब नीति हैं कि सार्वजनिक तौर पर शराब पीना या व्यक्तिगत रूप से 4 बोतलों से साधिक शराब रखना दण्डनीय अपराध है लेकिन सार्वजनिक तौर से अवैध रूप में शराब की पेटियों की पेटियां बेचना कोई अपराध नही और इसे जुर्माना लगाकर ही व्यक्ति को फिर उसी काम के लिए खुला छोड़ दिया जाता है।

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