पेयजल की समस्या से जूझता पंचकुला
गिरते भूजल और किसी भी प्राकृतिक जल स्रोत के ना होने से आने वाले समय में पंचकुला में पानी की भीषण समस्या ऊत्पन्न हो सकती है। प्रशासन को अभी से वैकल्पिक साधनों की खोज कर उनका सफल प्रयोग करना भी सीखना होगा।
एक ओर आज पंचकूला के उपायुक्त डॉ बलकार सिंह शहर, गांव और सभी कॉलोनियों में हर जीव को पीने का पानी उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस तपती गर्मी में पेय जल के वैकल्पिक इस्तेमाल को अनदेखा किया जा रहा है। पेय जल का प्रयोग गर्मी हो या सर्दी पार्कों और स्कूलों के खेल के मैदानों की सिंचाई के लिए किया जाता है। जबकि सिंचाई के लिए ट्रीटेड वाटर इस्तेमाल करने का प्रावधान है परन्तु प्रदेश भर में इसे नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
पंचकूला की ही बात करें तो लगभग सभी बड़े स्कूलों में शाम के समय खेल की एकेडमी चल रही हैं जिसमें मैदान और घास पर पानी का छिड़काव अनिवार्य होता है जो कि नियमित रूप से किया जाता है। परन्तु इसमें इस्तेमाल होने वाला पानी “ड्रिंकिंग वॉटर” अथवा “पेय जल” है जबकि इस बारे में प्रशासन को पूरी जानकारी है।
ऐसा नहीं कि पंचकूला में treatment प्लांट नहीं ,यहाँ मुख्यमंत्री ने 24 अक्तूबर 2016 में सैक्टर 20 में ट्रीटमेंट प्लांट का उदघाटन किया था। इस समारोह में स्थानीय विधायक ज्ञानचन्द गुप्ता और अम्बाला से सांसद रतनलाल कटारिया के अतिरिक्त हुडा और निगम के सभी अभियंता और अधिकारी मौजूद थे।
परन्तु ट्रीटेड पानी का प्रयोग नहीं किया जा रहा। पंचकूला वेल्फर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष पपनेजा ने कई बार हुडा और सम्बन्धित अधिकारी से मौखिक और लिखित तौर गई तो जवाब में कहा गया कि इस पानी की कुछ बदबू की वजह से इस पानी का प्रयोग नहीं करते ।
प्रशासन औए हुडा की कथनी करनी में कितनी सार्थकता है इन्हीं गर्मियों में सामने आ ही जाएगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!