Sunday, December 22

काश्मीर में जब युवा सड़क पर उतार कर सेना पर पत्थर बरसाता है तो वह अलगाववादियों के कहने से अपनी मर्ज़ी से जान बूझ कर यह कृतय करता है, लेकिन हरियाणा के करनाल में छात्र अपने मृत साथी के इंसाफ के लिए धरना कर रहे थे, वह न्याय की मांग कर रहे थे, करनाल को भारत से अलग करने की बात नहीं कर रहे थे, लेकिन पुलिस को इन छात्रों के दम खम का पता था उन्हे पता था की इन के पीछे कोई अलगाव वादी नहीं अपितु मृतक छात्र के मजबूर माता पिता हैं। इसी लिए पुलिस का कहर इन छात्रों पर बरस पड़ा।


पुलिस ने बर्बरता की हदें पार कर दी…

सीएम सिटी करनाल में 11 अप्रैल वीरवार को बस एक्सीडेंट में छात्र की मौत हो गई। इससे आहत आईटीआई(बाबू मूलचंद उद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र) के स्टूडेंट्स आज सड़कों पर उतर आए और हाईवे जाम करने लगे। पुलिस मौक़े पर पहुंची और उन्हें हटाने की कोशिश की। लेकिन छात्र नहीं माने।

पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दाग़े। स्टूडेंट्स ने उल्टा पुलिस पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी। पुलिस ने और सख़्ती दिखाते हुए हवाई फ़ायरिंग शुरू कर दी। इससे घबराकर स्टूडेंट्स भागने लगे। लेकिन तबतक पुलिस अपनी पर आ चुकी थी। पुलिस ने छात्र-छात्राओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।

यहां तक कि पुलिस ने आईटीआई के अंदर घुसकर अध्यापकों और प्रिंसिपल तक को नहीं बख़्शा। ना सिर्फ़ उन्हें पीटा गया बल्कि जमकर भद्दी गालियां भी दी गईं। पुलिस के हाथों से लाठियों और मुंह से लगातार गालियों की बारिश हो रही थी।
एक टाइम पर पुलिस की सख़्ती का समर्थन किया जा सकता है लेकिन बर्बरता और बदतमीज़ी का हरगिज़ नहीं।

देखना है कि करनाल के विधायक, सूबे के गृहमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस घटना पर क्या कार्रवाई करते हैं।