कमल नाथ के टिकट आबंटन से पहले हिमाद्रि सिंह ने थामा ‘कमल’
कमल नाथ की नीतियों और उनके शब्दों ने हिमाद्रि सिंह को इतना आहात किया कि वह भाजप कि होलीं
भोपाल:
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के टिकट के लिए दावेदारों का जो पैनल तैयार किया है, उसमें सबसे चौंकाने वाला नाम शहडोल लोकसभा क्षेत्र से हिमाद्री सिंह का है. यही नाम कांग्रेस के गलियारों में भी तेजी से चल रहा था, इसकी वजह हिमाद्री सिंह का पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह की बेटी होना.
हिमाद्रि 2016 में हुए शहडोल संसदीय सीट के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रही हैं, लेकिन बदले हुए राजनीतिक समीकरणों ने हिमाद्री को बीजेपी ज्वाइन करने पर मजबूर कर दिया. इसकी वजह प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का वो बयान था जिसमें उन्होंने हिमाद्री को तभी टिकट देने की बात कही थी, जब वो पति नरेंद्र मरावी को बीजेपी से कांग्रेस में शामिल करवाएं. ऐसा हो पाता इसके पहले ही बीजेपी नेता नरेंद्र मरावी ने हिमाद्री को बीजेपी की सदस्यता दिलवा दी. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में पार्टी अध्यक्ष राकेश सिंह ने कांग्रेस नेत्री को बीजेपी की सदस्यता दिलवाई.
पति के लिए प्रचार किया तो बढ़ी परेशानी
इसके पहले उनके पति नरेंद्र मरावी बतौर बीजेपी प्रत्याशी शहडोल लोकसभा का ही चुनाव लड़ चुके हैं. मरावी ने 2009 में हिमाद्रि की मां राजेश नंदिनी के खिलाफ चुनाव लड़ा और वे 13,415 मतों से हार गए. मरावी पुष्पराजगढ़ से विधानसभा चुनाव भी लड़े थे, लेकिन हार गए. इसी चुनाव में हिमाद्री पर बीजेपी का प्रचार करने का आरोप लगा और कांग्रेस ने इस बार टिकट देने से पहले उनके सामने पति को कांग्रेस ज्वाइन करवाने की शर्त रखी थी. लेकिन कांग्रेस की मुहिम को झटका देते हुए हिमाद्री पति के साथ बीजेपी दफ्तर पहुंच गईं.
ऐसे रहे सियासी समीकरण
2016 में हिमाद्रि शहडोल सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार रह चुकी हैं. उपचुनाव से पहले हिमाद्री को बीजेपी की ओर से कई बार पार्टी में शामिल कराने की कोशिश की गई लेकिन वे कांग्रेस के साथ ही आगे बढ़ती रहीं. सिर्फ इतना ही नहीं हिमाद्री ने बीजेपी के उम्मीदवार रहे ज्ञान सिंह को तगड़ी टक्कर दी, इसके बावजूद बीजेपी जीत गई. अब पार्टी फिर हिमाद्रि को टिकिट देने का मन बना चुकी है. हिमाद्री ने 2014 में जीत के अंतर को 2.41 लाख से घटाकर 59 हजार तक पहुंचा दिया.
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