राफेल डील पर द हिंदू की रिपोर्ट से सत्ता के गलियारों में शोर मच गया है

राफेल डील पर द हिंदू  की रिपोर्ट से सत्ता के गलियारों में शोर मच गया है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस इस डील को लेकर लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साध रही है और इसके बचाव में पीएम मोदी भी आ गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब रक्षा मंत्रालय इस डील को देख रहा था तो पीएमओ की तरफ से भी सामानांतर बातचीत की जा रही थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार ने पीएमओ के इस समानांतर बातचीत का जोरदार ढंग से विरोध भी किया था. ‘यह इच्छा थी कि पीएम इस बातचीत से हट जाए और वह लगातार हमारी बातचीत को कमजोर कर रहा था.’

राफेल डील पर बातचीत इंडियन निगोशिएटिंग टीम के प्रमुख एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा द्वारा की जा रही थी. जबतक फ्रेंच नेगोशिएटिंग टीम के द्वारा इस मुद्दे पर लेटर नहीं दिया गया, पीएमओ ने भी समानांतर बातचीत के लिए एक टीम बना दी थी.

द हिंदू  ने अपनी रिपोर्ट में बिल्कुल साफतौर पर कहा है कि मोदी सरकार आने के सत्ता में आने के बाद बातचीत की प्रक्रिया में अचानक बदलाव कर दिया गया. लेकिन इस बदलाव के लिए औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय द्वारा सुझाव नहीं दिया गया था. यह बदलाव बहुत गोपनीयता से किया गया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी इसका कोई जिक्र नहीं किया है. डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ के नेतृत्व में सात लोगों की टीम यह बातचीत कर रही थी.

रक्षा मंत्रालय ने 24 नवंबर 2015 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को भी नोट भेजकर ये बताया था कि पीएमओ की तरफ से इस डील में समानांतर बातचीत की जा रही है. उन्होंने कहा कि पीएमओ के अधिकारियों को कहा गया था कि जो भी नेगोशिएशन टीम का हिस्सा नहीं है वह फ्रेंच पक्ष से इसमें बातचीत नहीं कर सकता.

खैर इसके बाद नेताओं द्वारा इस पर चर्चा करना तो लाजिमी है. यह सरकार के लिए मुश्किल भी खड़ी कर सकता है. सरकार को यह साफ करना चाहिए कि पीएमओ के इस रोल की चर्चा उसने सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं की?

यह रिपोर्ट द हिंदू  के चेयरमैन एन राम ने लिखी है. इस पर उन्होंने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा ‘यह स्टोरी पूरी है. मनोहर पर्रिकर के रोल की हमने चर्चा नहीं की है और इसकी जांच होनी चाहिए.’

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