अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव को लेकर करना होगा मुकदमे का सामना: सर्वोच्च न्यायालय

पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर, 2018 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा, ‘सुनवाई होने दीजिए.’ 

हमें याद पड़ता है की वर्ष 2009 में इसी प्रकार के आरोपों का सामना पी। चिदम्बरम को भी करना पड़ा था, कन्नापन ने अपनी जून 25, 2009 की याचिका में चिदम्बरम और उनके कार्यकर्ताओं पर जोड़- तोड़ और चुनावी भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था और मांग की थी की उनके सांसदिया क्षेत्र की खास कर अलगूनदी विधानसभा क्षेत्र की पुन: मतगणना की जाये। क्या बना?

फैसला आने से पहले चिदम्बरम ने न केवल अपना सांसद का गरिमापूर्ण पद बल्कि राष्ट्र के वित्त मंत्री का महत्त्व पूर्ण पद भी संभाला, और कन्नापन फैसले के इंतज़ार में समय काटते रहे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से कहा कि वह 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव में उनके निर्वाचन के संबंध में बीजेपी प्रत्याशी बलवंतसिंह राजपूत की चुनाव याचिका पर मुकदमे का सामना करें. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर, 2018 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा, ‘सुनवाई होने दीजिए.’ हाई कोर्ट ने कहा था कि राजपूत के आरोपों पर सुनवाई की आवश्यकता है.

अहमद पटेल ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें राजपूत की चुनाव याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. राजपूत ने राज्यसभा चुनाव में दो विद्रोही विधायकों के मतों को अवैध घोषित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को अपनी चुनाव याचिका में चुनौती दी है. उनका कहना था कि यदि इन दोनों मतों की गणना की गयी होती तो उन्होंने पटेल को हरा दिया होता. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि पटेल की याचिका पर अगले महीने सुनवाई की जायेगी. न्यायालय ने पक्षकारों को इस दौरान अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति भी दी. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘चूंकि संबंधित पक्षकार पेश हुये हैं, औपचारिक नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं. इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिये फरवरी, 2019 में सूचीबद्ध किया जाए. इस दौरान, उच्च न्यायालय चुनाव याचिका पर सुनवाई की कार्यवाही करेगा.’  

कांग्रेस के विद्रोही विधायकों भोलाभाई गोहेल और राघवजी पटेल के मतों को अवैध घोषित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद चुनाव जीतने के लिये आवश्यक 45 मतों की संख्या घटकर 44 हो जाने पर पटेल को विजयी घोषित किया गया था. राजपूत ने अपनी चुनाव याचिका में पटेल पर कांग्रेस के विधायकों को चुनाव से पहले बेंगलुरू के एक रिजार्ट में ले जाने का आरोप लगाते हुये कहा था कि यह मतदाताओं को रिश्वत देने के समान ही है. 

उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में दूसरी बार पटेल को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था. इससे पहले, न्यायालय ने 20 अप्रैल को पटेल का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था. अहमद पटेल ने 20 अप्रैल, 2018 के हाई कोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को हाई कोर्ट से कहा था कि पटेल की याचिका पर नए सिरे से फैसला किया जाए. उच्च न्यायालय ने अक्टूबर में पटेल की याचिका खारिज कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मामले में अहमद पटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अधिवक्ता देवदत्त कामत के साथ पेश हुए जबकि राजपूत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह और सत्य पाल जैन पेश हुए. 

हम अपने देश की न्यायाइक प्रक्रिया की मानें तो यहाँ भी पटेल अपनी राज्य सभा की कुर्सी पर बैठे रहेंगे अगले चुनाव आने तक, हाँ यदि पटेल को कुर्सी से सशर्त ( मुक़द्दमा जीतो और कुर्सी संभालो) हटाया जाता है तो इस मुक़द्दमे के अगले चुनावों से कुछ पहले निबटने की संभावना है।

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