17 नवंबर को डॉ॰अजय चौटाला के नेतृत्व में जींद के “न्याययुद्ध” में जो निर्णय होगा वह सर्वमान्य होगा: दुष्यंत

 

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो)में मतभेद गहराता जा रहा है. पार्टी अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला द्वारा अपने दो पोतों को ‘अनुशासनहीनता का दोषी पाते हुए उन्हे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किए जाने के बाद हिसार से सांसद दुष्‍यंत चौटाला शनिवार को चंडीगढ़ में मीडिया से मुखातिब हुए. उन्‍होंने अपने चाचा और हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला का नाम लिए बिना उन पर जमकर जुबानी हमले किए. साथ ही उन्‍होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जब तक राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का साइन किया हुआ पत्र मुझे नहीं मिलता, तब तक मैं नहीं मानूंगा कि उन्‍होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया है.

दुष्यंत चौटाला ने बताया कि वह दिग्विजय चौटाला ओर श्रीमती नैन चौटाला डॉ॰ अजय चौटाला कि अनुपस्थिति में इनेलो के राष्ट्रीयध्यक्ष ॐ प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में देवीलाल जी के आदर्शों ओर सोच को आगे बढ़ाने के कार्य में निरंतर लगे हुए हैं। अभी हाल ही में उन्हे मीडिया द्वारा पता चला कि उन्हे आंटी पार्टी गतिविधियों के चलते पार्टी से निलंबित ओर फिर निष्कासित किया जा चुका है।

अपनी बात को आगे बढ़ते हुए उन्होने कहा कि उन्हे पार्टी के ऑफिस सेक्रेटरी का पत्र चौटाला साहब के एवज़ में मिला जिसमें उन्हे एक हफ्ते का समय अपना पक्ष रखने को कहा गया, समय पर मीटिंग न हो पाने के कारण अगली तारीख कि कभी पुष्टि नहीं कि गयी ओर मीडिया द्वारा उन्हे निलंबित किया जा चुका है ऐसा सुनने में आया। जबकि इनेलो का संविधान राशतीय कार्यकारिणी कि बैठक वह भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष जी कि उपस्थिती में ही कोई निलंबन अथवा निष्कासन का फैसला ले सकती है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

अपने निलंबन ओर निष्कासन संबंधी दस्तावेज़ों कि वह आज तक प्रतीक्षा कर रहे हैं। राष्ट्राध्यक्ष जी के हस्ताक्षर किए हुए कोई भी कागज उन्हे उपलब्ध नहीं करवाए गए।

वह पिछले 4.5 साल से सांसद हैं और उन्होने संसद में हरियाणा के चहुंमुखी विकास के लिए संसद में कई बार प्र्शन उठाए हैं वहीं हरियाणा विध्न सभा में कांग्रेस इनेलो को भाजपा की भाषा बोलने वाली पार्टी का नाम देती है। उन्होने आगे यह भी कहा की पार्टी किसी की व्यक्तिगत निधि नहीं है, इसे कार्यकर्ताओं ने 3 – 4 पीढ़ियों से अपनी आधी फसलों की कुर्बानी दे कर खड़ा किया है

17 नवंबर को हरियाणा प्रदेश के 22 जिलों के जिलाध्यक्षों के साथ समन्वय बैठक होगी जिससे डॉ। अजय चौटाला जी की अध्यक्षता में जो भी निर्णय लिया जाएगा वह सर्वमान्य होगा। उन्होने यह वह इसे न्याय युद्ध का नाम दे रहे हैंआज मंच पर उनके साथ महिला मोर्चे की वाइस प्रेसिडेंट फूलवती, जगदीश नय्यर, डॉ।बांगर, निशान सिंह, रजेंदर ओर किशोर राठी थे जिनके बारे में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आज से इन्हे भी कांग्रेसी या भाजपाई कह कर पुकारा जाएगा जैसा कि उनके साथ पिछली 4-5 पीढ़ियों से उनके साथ जुड़े हुए कार्यकर्ताओं के बारे में कहा जाता रहा है।

प्रकाश सिंह बादल बाबत पूछे गए सवाल पर दुष्यंत ने कहा ” बादल साहब उनके परिवार के सबसे बड़े सदस्य हैं जिनका आशीर्वाद उनके परिवार को ओइछली कई पीढ़ियों से मिल रहा है ओर वह उनकी लंबी उम्र कि कामना करते हैं।”

राव इंद्रजीत से मिलने के बारे में पूछे जाने पर दूषयांत ने बताया कि राव इंद्रजीत जी से उनके संबंद पारिवारिक हैं 2009 में राव नरेन्द्र्जीत जी ने डॉ अजय चौटाला को आशीर्वाद दिया था तब ही से वह त्योहारों इत्यादि में अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेने जाते हैं ओर यह मुलाकातें ठीक उसी प्रकार होतीं हैं जैसी कि उनकी ओर उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला जी कि।

स्वयं को सगठन का कर्मठ योद्धा बताते हुए दुष्यंत ने कहा

“असूलों कि बात पर टकराना ज़रूरी है

ज़िंदा हैं तो ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है।“

जननायक सेवा दल के बारे में उन्होने स्पष्ट किया कि यह एक सेवा दल है जो राजनैतिक लोगों द्वारा तैयार किया गया दल है, यह सामाजिक सौजार्ड का मंच है। इस दल के कार्य करता दल कि सदस्यता लेने से पहले प्र्त्यक्ष राजनीति में प्रवेश न करने का प्र्तिज्ञा पत्र भरते हैं। यह दल डॉ॰ अजय चौटाला द्वारा संगठित किया गया था जो प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोगों कि मदद करने को तत्पर रहता है।

हीनसो  के बारे में दुष्यंत ने बताया कि इनेलो कि विद्यार्थी इकाई के सृजन करता डॉ॰अजय चौटाला थे और वह या दिग्विजय सिंह भी इस इकाई से स्वयम किसी को निष्कासित करने कि योगिता नहीं रखते संविधान अनुसार उन्हे राष्ट्रिय कार्य कारिणी कि बैठक में कारणों कि समीक्षा करनी होगी ओर कमेटी का निर्णय ही सर्व मान्य होगा।

अभय के मुकख्यमंत्री का चेहरा बने जाने पर उन्होने कहा, कि हिसार के कुछ अति उत्साहित युवकों द्वारा उनका नाम लिए जाने का कारण उनकी निजी भावनाएं हैं जो संगठन में रखीं तो जा सकतीं है थोपी नहीं जा सकतीं। लोकतन्त्र में यदि कब्जों का प्रचालन होता तो राष्ट्रपति भवन कब का कब्जा लिया गया होता। दुशयंत ने आगे यह भी कहा कि वह हिसार से सांसद हैं कुछ युवाओं के कहने पर वह अपने सांसदीय क्षेत्र को नहीं छोड़ सकते ओर फिर संसद भवन में हरियाणा कि आवाज़ को मुखरता से उठाना भी तो है।

निष्कासन पर दुष्यंत ने याद दिलाया कि जब चौधरी चरण सिंह ने उनके पर दादा चौधरी देवीलाल को पार्टी से निकाला तो देवीलाल ने अपनी यात्रा जारी राखी, चरण सिंह ने तो ओमप्रकाश चौटाला को भी पार्टी से निकाल दिया था तो वह भी नहीं रुके मैं उनही का खून हूँ मैं कैसे रुक सकता हूँ।

पूछे जाने पर कि मंच पर उनके साथ चार विधायक(MLA) हैं तो दूषयांत ने भी चुटकी लेते हुए कहा कि कल चला था तो आज चार हैं आगे आगे देखिये सभी यहीं दिखेंगे।

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