पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 17 अप्रैल 2025

नोटः आज सती अनुसुइया जयंती है : हिंदू धर्म में नारी शक्ति की उपमा जब भी दी जाती है, तो सबसे पहले जिनका नाम स्मरण होता है, वह हैं सती अनुसूया। वे तप, त्याग और पतिव्रता धर्म की मूर्ति थीं। अनसूया प्रजापति कर्दम और देवहूति की 9 कन्याओं में से एक तथा अत्रि मुनि की पत्नी थीं। उनकी पति-भक्ति अर्थात सतीत्व का तेज इतना अधिक था के उसके कारण आकाशमार्ग से जाते देवों को उसके प्रताप का अनुभव होता था। इसी कारण उन्हें ‘सती अनसूया’ भी कहा जाता है। सती अनसूया ने राम, सीता और लक्ष्मण का अपने आश्रम में स्वागत किया था। उन्होंने सीता को उपदेश दिया था और उन्हें अखंड सौंदर्य की एक ओषधि भी दी थी। सतियों में उनकी गणना सबसे पहले होती है। बैसाख मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सती अनुसूया जयंती मनाई जाती है और इस वर्ष यह पावन तिथि 17 अप्रैल को आ रही है।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः वैशाख़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः चतुर्थी अपराहन्ः काल 03.24 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः ज्येष्ठा की वृद्धि है जो कि (शुक्रवार को प्रातः 08.21 तक) है,
योग वरीयाऩ रात्रि काल 12.50 तक है,
करणः बालव,
सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः वृश्चिक,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.57, सूर्यास्तः 06.44 बजे।