मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, परिवहन विभाग के एसीएस धनपत सिंह और रोडवेज यूनियन के नेताओं के बीच हुई बहस

चंडीगढ़:

हरियाणा रोडवेज की तालमेल कमेटी और सरकार के बीच बातचीत सीढ़ी चढ़ते हुए नहीं दिखाई दे रही है .तीसरे दौर की बातचीत एक बार फिर ब्रेक के लिए स्थगित हो गई है । बातचीत के दौरान जमकर दोनों तरफ से बहस जा रही है. सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आरके खुल्लर जहां बस चलाने को लेकर दबाव बना रहे हैं. वही यूनियन कि तालमेल कमेटी किलोमीटर आधारित बसों के टेंडर रद्द करने और उसकी फिर से जांच करने की मांग कर रही है. तालमेल कमेटी का दावा है कि 510 बसों को अब तक जो टेंडर दिए गए हैं उसमें भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी जांच करवाई जाए साथ ही रोडवेज के बेड़े में नयी बस शामिल करवाई जाएं ताकि जनता को सुविधाएं मिल सके. क्योंकि प्राइवेट बसों के ऑपरेटर रोडवेज की तरह लोगों को फ्री में कुछ सुविधाएं नहीं देंगे . जिससे जनता को परेशानी होगी. रोडवेज उन्होंने कहा कि उनके पास कई गांव से प्रस्ताव भी आए हैं जिसमें उन्होंने सरकारी बसों की मांग की है. यूनियन का यह भी कहना है कि प्राइवेट बसों के शुरू करने से रोजगार में कमी आएगी एक प्राइवेट बस के शुरू करने से करीब 6 लोगों के रोजगार खत्म हो जाएंगे. इसलिए सरकार जनहित को देखते हुए प्राइवेट बसें ना चलाएं ।

बातचीत के दौरान रोडवेज यूनियन के सदस्यों का कहना है कि सरकार निजी बसों को चलाने के लिए उन पर शोषण कर रही है. उन्हें बार-बार धमकाया जा रहे हैं गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाता है और रोडवेज की हड़ताल के कारण जो नुकसान हो रहा है वह सरकार की जिम्मेवारी है .बातचीत के दौरान ट्रांसपोर्ट विभाग के एसीएस धनपत सिंह ने कहा कि रोडवेज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है .कर्मचारियों को हर महीने 130 करोड रुपए का ओवरटाइम दिया जाता है जो प्रति व्यक्ति करीबन ₹65000 बैठता है . इसके बाद रोडवेज यूनियन के कर्मचारी बिखर गए उनका कहना था कि कर्मचारी जान हथेली पर रखकर 13 घंटे ड्यूटी करते हैं .वह अपनी मेहनत का पैसा मांग रहे हैं ना कि काम चोरी का .यदि अधिकारी अपना ओवरटाइम ना लें तो वह साथ ही रोडवेज के कर्मचारियों का कहना था कि यदि सरकार को उनके ओवरटाइम से ज्यादा ही दिक्कत है तो नए कर्मचारी भर्ती कर कर ले और ओवरटाइम ना दें ।

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