अमृतसर नरसन्हार की दोषी ‘मैडम’ को क्या कभी नामजद किया जाएगा?


रावण दहन देखते हुए, गाड़ी की चपेट में आए लोगों को संभालते संभालते राम लीला में रावण का पात्र निभाने वाले युवा दलबीर की भी ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई है

हादसे का मुख्य कारण नवजोत कौर सिद्धू का कार्यक्र्म में भीड़ बढ़ने के बाद आने की ज़िद बना। जहां सारे भारत में रावण दहनसूर्य की अंतिम किरण के रहते कर दिया जाता है तकरीबन 6:15 (सवा छ: बजे) वहीं प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सिद्धू बार बार आयोजकों से पूछ रहीं थीं कि भीड़ बढ़ी के नहीं, 7:00 बजे तक सब जगह रावण जल चुके थे बस पूरे उत्तर भारत में यही एक रावण था जिस को मैडम सिद्धू कारण नहीं जलाया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों कि मानें तो उन्होने कहा था कि मेरे कार्यर्क्र्म है मेरे आए बिना रावण नहीं जलेगा। 6:15 पर निपट जाने वाले कार्यक्र्म को 7:15 तक लटकाए रखा। मैडम सिद्धू के लेट हटे जाने के आरन दर्शकों को बांधे रखने के लिए बूटा मोहम्मद का रंगारंग कार्यक्र्म भी चलता रहा। वहीं एक बड़ी स्क्रीन पर यह सारा प्रोग्राम लाइव दिखाया जा रहा था।

विवादों का जन्म 

रेल हादसे के बाद से अब तक सबसे बड़ी राजनीति पवन कुमार बंसल ने शुरू कि, सनद रहे कि पवन कुमार बंसल पूर्व रेल मंत्री हैं अपने भांजे के साथ रेल्वे में बदलियों को लेकर विवादों में आए ओर इन्हे इस्तीफा देना पड़ा था, उन्होने प्रधान मंत्री की बुलेट ट्रेन पर निशाना साधते हुये कहा कि देश को बुलेट नहीं सुरक्शित रेल कि आवश्यकता है, गनीमत है कि उन्होने प्रधान मंत्री का इस्तीफा नहीं मांग लिया।

आरोपों से नाराज नवजोत कौर ने पूछा- क्या हमने लोगों पर ट्रेन चढ़ाई? 
लापरवाही से हो रहे आयोजन में चीफ गेस्ट बनने के बाद सवालों के घेरे में आईं नवजोत कौर ने कहा- हर साल इसी जगह दशहरा होता है। क्या हमने लोगों को ट्रैक पर बैठाया? क्या ट्रेन हमने लोगों पर चढ़ा दी? इस हादसे में हमारी गलती नहीं है। भाजपा भी इसी जगह दशहरा आयोजन कराती थी। वह अब हादसे के बाद राजनीति कर रही है। रेलवे को भी ट्रेन की स्पीड धीमी रखनी चाहिए थी।

दूसरी ओर रात ही को मैडम सिद्धू ने लोगों द्वारा कार्यक्र्म में उनकी देरी से आने पर सवाल उठा दिये ओर यह भी कहा कि आयोजक सत्ताधारी पार्टी से संबंध रखते हैं इसीलिए उन्होने रावण दहन की “डीएम” से अनुमति भी नहीं ली थी ओर किसी भी प्रकार के सुरक्षा इंतज़ामों के बिना यह कार्यक्र्म रखा।

अपनी आलोचना होती देख मैडम सिद्धू ने आलोचकों को राजनीति न करने की चेतावनी दे डाली। ओर पत्नी के बचाव में आए जनरल बाजवा से गले मिल कर लौटे बयान वीर नवजोत सिद्धू ने अपना कपिल शर्मा शो वाला ज्ञान बघारा कि यह तो “दैवीय प्रकोप” है।

मुख्यमंत्री 17 घंटे देरी से पँहुचे

कल शाम ही को हादसे की जानकारी पते ही इस्राइल का दौरा रद्द करने वाले पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री हादसे की जगह पर 17 घंटे देरी से पँहुचे ओर मात्र 10 मिनट में वहाँ से चलते हुए। उन्होने बताया की सरकार ने मृतिकोन के परिवारों के लिए 3 करोड़ का फ़ंड जारी कर दिया है और मजिस्ट्रेट द्वारा 4 हफ्तों में जांच कारवाई जाएगी।  पत्रकारों ने जब उनसे हादसे संबंधी ओर हादसे के विदित कारणों पर टिप्पणी करने को कहा तो वह भन्न गए ओर पत्रकारों से बोले “अब बाकी सवाल मैजिस्ट्रेट से ही पूछे जाने चाहिए।”

पंजाब के पूर्व गृह मंत्री बिक्रम मजीठीया ने सिद्धू जोड़े पर कार्यवाही की मांग की उनके अनुसार एक इस हादसे का मुखी कारण है ओर दूसरा पीड़ितों को अपने बयानो से तकलीफ पंहुचा रहा है।

वहीं आयोजकों ने सारा ठीकरा रेल्वे ड्राईवर के सर मढ़ दिया (मानों उसने जानते बूझते इस हादसे को अंजाम दिया हो)।

हालांकि, ड्राइवर ने अपने बयान में इसका खंडन किया है. ड्राइवर का कहना है कि उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे लेकिन वह हादसा नहीं टाल पाया. ड्राइवर ने यह भी दावा किया है कि हादसे के बाद उसने ट्रेन रोकी था लेकिन बाद में यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे अमृतसर की ओर बढ़ गया.

ट्रेन ड्राइवर ने दावा किया, “कर्व (घुमावदार रूट) के कारण ट्रैक पर मौजूद भीड़ नहीं दिखाई थी. जब उसने आपातकालीन ब्रेक लगाने की कोशिश की थी लेकिन ट्रेन रुकने से पहले काफी लोग उसकी चपेट में आ गए. ट्रेन की रफ्तार 90 किमी/घंटा थी जब हादसा हुआ. जब ट्रेन रुकी तो स्थानीय लोगों ने ट्रेन पर हमला करना शुरू कर दिया था.”

जहां कांग्रेस ओर प्रशासन सिद्धू द्व्य को बचाने में लगा है वहीं विपक्ष ने अमृतसर में सरकार की धाज्जिया बिखेर दीं हैं।

अंत में जो एफ़आईआर दर्ज की गयी है उसमें अज्ञात पर केस दर्ज़ किया गया है, गोया की ना कुछ हुआ, न किसी ने किया।  जब तक किसी एक, कभी भी ज़िम्मेदारी नहीं तय की जाएगी तब तक आवाम ही पीड़ित होगा, अवाम ही दोषी ओर वही सजायाफ्ता।

बड़ी चूक :

1. ट्रैक पर पहुंचे लोगों को वहां से हटाने के इंतजाम नहीं थे।
2. रेल ट्रैक के किनारे मेला लगने की जानकारी रेलवे को नहीं दी थी।
3. स्थानीय पार्षद ने बिना इजाजत इस मेले का आयोजन किया।
4. घटना के बाद पुलिस को मौके पर पहुंचने में काफी देर लगी।
5. मेले में लगी एलईडी स्क्रीन को रेल ट्रैक की ओर लगाया गया था। 

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