Sunday, December 22

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  09   दिसंबर:

प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नीरू मित्तल नीर के नव प्रकाशित लघुकविता संग्रह ‘पंचतत्त्व और मैं’ का विमोचन गीता महोत्सव में आयोजित हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कार्यक्रम में डॉ.धर्मदेव विद्यार्थी, निदेशक (हिंदी एवं हरियाणवी प्रकोष्ठ, अकादमी), डॉ. चितरंजन दयाल कौशल, निदेशक (संस्कृति प्रकोष्ठ, अकादमी) और डॉ. बाबूराम विभागाध्यक्ष (बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक) के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रेम विज, वरिष्ठ साहित्यकार, लाजपत राय गर्ग, वरिष्ठ उपन्यासकार, कमलेश काजल, साहित्यकार, डॉ विनोद कुमार शर्मा, पत्रकार एवं कवि, रविंद्र कुमार मित्तल भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि पंचतत्त्व आकाश वायु जल अग्नि और पृथ्वी से ही मानव शरीर बना है, पांच तत्वों की महत्ता को सदैव स्मरण रखना चाहिए। श्री बाबूराम जी ने कहा कि कवयित्री ने पंचतत्त्वों के माध्यम से इंसान को संस्कारों और जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए सचेत करने का प्रयास किया है।श्री प्रेम विज ने कहा कि कवयित्री ने नए भावों और नए बिंबों के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर चोट करते हुए नई आशा का संचार किया है। लाजपत राय गर्ग ने इस अवसर पर श्री ज्ञान प्रकाश पीयूष द्वारा लिखी गई समीक्षा पढ़ी। इस अवसर पर बोलते हुए कवयित्री डॉ. नीरू मित्तल नीर ने कहा कि प्रकृति, आत्मा और पंचतत्त्वों के समावेश में ही जीवन की सार्थकता है और उन्होंने 101 कविताओं में इनसे जुड़े हरेक पहलू को छूने का प्रयास किया है। आपके अब तक चार काव्य संग्रह, दो कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह और एक बाल साहित्य प्रकाशित हो चुके हैं।