’संगीत बंगाल से बॉलीवुड’ : डाॅ संगीता चौधरी
हिंदी बाॅलीवुड फिल्मी सदाबहार गीतों/गानों में बांग्ला संगीत के प्रभाव की सुंदरता को वर्णित करती है डाॅ संगीता चौधरी की किताब ’संगीत बंगाल से बॉलीवुड’
- बांग्ला संगीत की समृद्धता और गहराई ने बॉलीवुड के कई संगीतकारों को प्रेरित किया हैः डाॅ संगीता चौधरी लाहा
- किताब का विमोचन 10 नवम्बर को पंजाब कला भवन, सेक्टर 16 में की जाएगी
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 06 नवंबर:
हिंदी फिल्मों (बॉलीवुड) के कईं गाने जैसे रविंद्र संगीत, कीर्तन, बांग्ला लोकगीत, बाउल, भाटियाली, भावईया इत्यादि से काफी प्रभावित माने जाते हैं। बांग्ला संगीत समृद्ध और भावपूर्ण है और बांग्ला संगीत वर्षों से बॉलीवुड संगीतकारों के लिए एक शानदार प्रेरणा का स्रोत रहा है। यह कहना है डाॅ संगीता चौधरी लाहा का, जिनकी नई किताब ’संगीत बंगाल से बॉलीवुड’ का विमोचन 10 नवम्बर को पंजाब कला भवन, सेक्टर 16 में किया जाएगा।
डॉ संगीता इस पुस्तक से पूर्व 7 किताबें लिख चुकी हैं, यह पुस्तक हैं- काजी नजरूल इस्लाम द्वारा रचित गीतों का अवलोकन, नजरूल गीती, बंगाल का लोक संगीत (एक परिचय), काजी नजरूल इस्लाम के नवराग, रविन्द्रनाथ टैगोर एंड काजी नजरूल इस्लाम इन सेम ऐरा(इंग्लिश), युगप्रवर्तक, बंगाल का संगीत एवं संगीतज्ञ।
डाॅ संगीता ने बताया कि यह पुस्तक सभी संगीत विद्यार्थियों, पुस्तक प्रेमियों एवं शोधकर्ताओं के लिए भी बहुत मील का पत्थर साबित होगी, जिसे बहुत ही सावधानी व एकाग्रता से लिखने का प्रयास किया है। पुस्तक को लिखने में लगभग ढेड वर्ष का समय लगा है।
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल भारत में सबसे जीवंत और विविध संगीत संस्कृतियों में से एक है, जहां कई गायकों और संगीत निर्देशकों ने हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनाई है। इनमें कई गैर-बंगाली श्रोता भी शामिल हैं, जैसे एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, सलिल चौधरी, हेमंत कुमार, किशोर कुमार, आशा भोंसले, गीता दत्त, तलत महमूद और मन्ना डे। बांग्ला गाने पूरे भारत में बहुत पसंद किए जाते हैं, खासकर हिंदी फिल्मी गानों के लिए। के. सी. डे, पंकज मलिक, तिमिर बरन और अनिल विश्वास जैसे पुराने कलाकारों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विश्व कवि और संगीतकार रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीत, जिसे रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है, ने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मी गीतों के लिए प्रेरणा का काम किया है।
डाॅ संगीता चौधरी लाहा ने बताया कि बांग्ला संगीत, विशेषकर रविंद्र संगीत, नजरूल गीति और बाउल संगीत, भारतीय संगीत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। यह पुस्तक हिंदी फिल्मों के गीतों में बांग्ला संगीत के प्रभाव को सुंदरता से प्रस्तुत करती है, और पाठकों को बांग्ला संगीत की विभिन्न शैलियों और उनके अंतर्निहित अर्थों से अवगत कराती है। बांग्ला संगीत समृद्ध, परिष्कृत और अद्वितीय है, चाहे वह उच्चारण, गीत या विषय वस्तु किसी भी क्षेत्र की बात हो। हम सभी बहुत सारे लोकप्रिय और सदाबहार नए और पुराने हिंदी गाने सुनते आ रहे हैं, उनका प्रभाव बंगाल संगीत से ही है।
उन्होंने कहा कि उनकी इस पुस्तक में हिंदी फिल्मों के गीतों पर बांग्ला संगीत के प्रभाव को खूबसूरती से दर्शाया गया है, एवं कई पुराने एवं नए हिंदी गीतों जिन्हें बांग्ला स्वरों से सजाया गया है ऐसे गीतों को प्रस्तुत किया गया है। केवल इतना ही नहीं बॉलीवुड के अनगिनत गीत जो आपकी, हमारी और हम सभी की जबान पर चढ़े हुए हैं और हमारे हृदयों में पैठ बनाये हुए हैं उन्हीं की विस्तृत व्याख्या इस पुस्तक में की गई है तथा बंगाल की जिन संगीत शैलियों पर वे आधारित हैं, या कौन से गीतों पर आधारित हैं, उनकी बांग्ला शब्दावली क्या है, यह पुस्तक इस बारे में आपको ज्ञान प्रदान करती है। यह पुस्तक न केवल आपको संगीत की एक नई दुनिया से परिचित कराएगी अपितु आपको पुनः बहुत से ऐसे गीतों की दुनिया में ले जाएगी जो शायद आपकी स्मृति में इधर-उधर हो गए हों।
उन्होंने कि यह पुस्तक उन्होंने अपने माता पिता स्वर्गीय मंजू चौधरी व पिता स्वर्गीय निर्मलेंदु चौधरी को समर्पित की हैं। पुस्तक के संपादन के लिए अशोक अग्रवाल और डॉअनिता सुरभि का हार्दिक आभार प्रकट करती हैं। डॉ संगीता ने बताया कि उनके पति डॉ सुप्रभात लाहा ने उन्हें इस पुस्तक को पूरा करने में पूरा सहयोग दिया।
डाॅ संगीता ने आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों को ज्ञान प्रदान करेगी और विशेष रूप से छात्रों, शोधकर्ताओं और पुस्तक प्रेमियों के लिए लाभकारी होगी। पाठक इसे एमाजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफार्मों में उपलब्ध है।