एक दीप संगीत जगत की अनमोल धरोहर माँ शारदा सिन्हा के नाम : संजय चौबे
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 06 नवंबर:
जो डर था वही हुआ जैसे सरस्वती पुजा के दिन लता मंगेशकर जी को मॉ सरस्वती ने अपने पास बुला लिया वैसे ही शारदा सिन्हा जी को छ्ठ मईया ने । लोक आस्था का चार दिवसीय महान पर्व छठ आज शुरू हुआ और छठ गीतों का पर्याय रहीं शारदा सिन्हा को छठी मइया ने अपने पास बुला लिया। छह-सात वर्षों से कैंसर से जूझ रहीं शारदा सिन्हा पति के निधन के बाद टूट गई थीं। 44 दिन बाद वह भी चली गईं।
अब मैं छठ गीत की ही बात करने वाला हूँ | #शारदा_सिन्हा_के_छठ_ गीत आधुनिक समाज ने पूरी तरह से छठ पर्व को आधुनिक रूप तो दे दिया अगर नही बदल सके तो एक है सिंदूर और दूसरा शारदा सिन्हा जी के गीत | ऐसा नहीं है कि शारदा सिन्हा जी के इस गीत से पहले छठ नहीं होता था या महत्व कम था, मगर जैसे नदियों के जल की कलकल ध्वनि और चिड़ियों की चहचहाट को ही परमात्मा ने नाकाफ़ी समझा और सरगम बनाया वैसे ही भगवान सूर्य ने शारदा सिन्हा के कंठ में जान बूझकर उष्णता भरी ताकि उनके गीत युगों युगों तक ठंडे जल में काँपती छठव्रती माताओं को भक्ति की उष्णता गरमाहट देती रहे एक सप्ताह पहले से ही बाजारों में छठ गीत बज रहे हैं, शारदा सिन्हा जी के पारम्परिक छठ गीत सिहरन पैदा कर रहे हैं, वातावरण पावन है, क्या घर, क्या बाज़ार, क्या बस, क्या ट्रेन….. आश्चर्य यह नहीं कि हर तरफ शारदा सिन्हा जी के छठ गीत बज रहे हैं, बल्कि अचरज तो यह है कि उनके बजते गीतों पर सबकी आँखें भरी हुई हैं, वह इसलिए कि इस गीत की प्रणेत्री देवी आज हम लोगो के बीच नही रही, इतना स्नेह है लोगों को उनसे | आप सभी छठ में शामिल होने वाले भक्तों से अनुनय है उनकी दिव्य आत्मा के शांति के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना कर सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करे शिवानन्द चौबे मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट ” एक दीप शारदा जी के नाम से जलाए” अभियान का आहवान करता है और यही सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी माँ शारदा के लिए, चिर निरंतर हम उनसे जुड़े रहे और गा सकें – *’जगतारण घर में दीयरा हम बारि अइनीं हो!’* अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली, शिवानन्द चौबे मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट