जर्जर हालात स्कूली बसें बच्चों की जान डाल रही जोखिम में
जर्जर हालात स्कूली बसें बच्चों की जान डाल रही जोखिम में, परिजनों को चिंता स्कूल प्रशासन लापरवाह
कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली, 04 नवंबर :
छछरौली क्षेत्र के निजी स्कूलों में चल रही जर्जर हालत की बसें बच्चों की जान जोखिम में डाल सफर कर रही है। ऐसी ही एक बस नेशनल हाईवे पर बच्चों को लेकर दौड़ती हुई नजर आई है। जिसकी बैंक लाइट गायब है। अगर बस को बीच सड़क ब्रेक लगाने पड़ जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पीछे से आने वाला वाहन रूकी बस को देखकर ब्रेक लगाएगा या बस को सीधी टक्कर मारेगा। क्योंकि बस के पीछे चल रहे वाहन को अगले वाहन की बैंक लाइट से ही रुकने व चलने का इशारा मिलता है। पर बस से बैक लाइट ही गायब है। बसों की जर्जर हालत देख परिजनों को अपने नौनिहालों की चिंता होना जायज बात है। पर इतनी बड़ी लापरवाही ना तो आरटीए विभाग व ना ही स्कूल प्रशासन को नजर आ रही है। जब कोई बड़ा हादसा स्कूल बस के साथ होता है तो फिर स्कूल प्रशासन ड्राइवर सब के खिलाफ कारवाई होती है पर पहले ही समय रहते कारवाई नहीं होती। या यूं कहें कि इस तरह या तो किसी का ध्यान नहीं है फिर देखकर भी अनदेखा किया जा रहा है। सड़कों पर दौड़ रही इस तरह की स्कूली बसों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। स्कूल से बच्चों को लेकर चलने वाली बसों पर लगी बैक लाइट तक गायब है। ऐसे में सवाल उठता है कि आरटीओ विभाग ने आखिर किस आधार पर इन जर्जर हालत की बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट बांट दिए हैं। जबकि पिछले वर्ष सभी स्कूली बसों की फिजीकल वेरीफिकेशन की गई थी। जर्जर हालत की बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट मिलना भी जांच का विषय है।
ज्ञात हो स्कूली बसों के बड़े हादसों मे पहले भी कई बार कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। हादसा होने के बाद प्रशासन कारवाई की बात करता है पर समय रहते इन बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता या जानबूझकर अनदेखा किया जाता है। छछरौली प्रतापनगर क्षेत्र के निजी स्कूलों में बच्चों को लेकर जाने वाली बसों की हालत देखकर लगता है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर ना तो स्कूल प्रशासन गंभीर है और ना ही प्रशासन की गंभीरता नजर आ रही है। सड़क पर स्कूली बच्चों से खचाखच भरी इन बसों की अगर हालत देखी जाए तो बसों पर लाइट तक गायब है। बस की बैक लाइट नहीं है ऐसे में सड़क पर चलते हुए अगर बस चालक को किसी कारण ब्रेक लगानी पड़ जाए तो पीछे से कोई भी वाहन आकर बस से टकरा सकता है। क्योंकि बस रुकने का संकेत देने वाली लाइट ही गायब है यह कितनी बड़ी लापरवाही है और इस लापरवाही से कितना बड़ा हादसा हो सकता है। इसका अंदाजा देश में पहले स्कूली बच्चों की बसों के हादसों को देखकर ही लगाया जा सकता है कि स्कूल प्रशासन व जिला प्रशासन किस तरह से बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। गांवों से बच्चों को लेने आई एक निजी स्कूल की बस की जर्जर हालात सब कुछ बयां कर रही है कि आरटीओ विभाग द्वारा आखिर किस आधार पर इस बस को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया है। इस तरह की ओर बहुत सी बसें स्कूली बच्चों को लेकर सड़क पर सरपट दौड़ रही है। ऐसे मे बच्चों के लिए यह वाहन कितने घातक व खतरनाक हो सकते है।
अभियान चलाकर होगी कारवाई
इस बारे में आरटीओ विभाग के विकास यादव का कहना है कि यह बहुत गंभीर विषय है। जिले की सभी बसों को फिजिकल वेरिफिकेशन करने के बाद ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिए गए हैं। उसके बावजूद भी अगर इस तरह लापरवाही बरती जा रही है तो दोबारा अभियान चलाकर सभी स्कूलों बसों की जांच की जाएगी। किसी भी वाहन में अगर कमी पाई जाती है तो उसके खलाफ कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।