Wednesday, November 27
  • पंचकूला में नगर निगम के द्वारा एक तो सही से आजतक वेंडिंग जॉन्स नहीं बनाए
  • दूसरा यहां मिलीभगत से किराए पर लोगों को बिठाने की शिकायतें मिल रही हैं

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला –  21      अक्टूबर :

नगर निगम पंचकूला आजतक भी 6 सालों में सही से वेंडर्स को रिहैबिलिटेट भी नहीं कर पाया है। इसको अगर ऐसा भी कहा जाए कि नहीं करना चाहता है तो कोई गलत नहीं होगा। इतना ही नहीं पहले तो एक एजेंसी को काम दे कर वेंडर्स से 2000 रुपए इकट्ठे करवाए गए।जबकि इन 2000 रुपए में जो जो सुविधाएं देनी थी वो ही नहीं दी गई। सालों यह धंधा चल। यह मिलीभगत के इलावा कुछ और हो ही नहीं सकता। क्योंकि बहुत शिकायतें नगर निगम के पास आईं सब दबा दी हैं। 

कितने सालों से नगर निगम ने सही वेंडर्स लिस्ट नहीं बनाई और न ही नोटिस बोर्ड पर लगाई। टीवीसी की आखिरी मीटिंग कब की गई। क्या फैसले लिए वेंडर्स को बसने देने के लिए। 

आज भी सुना है कुछ वेंडर्स नगर निगम में एक बहुत बड़े घोटाले ( जिसमें भ्रष्टाचार को नकारा नहीं जा सकता) के कर आए थे। बताया जा रहा है उन्होंने किसी का नाम दे कर बताया है कि 8000 रुपए महीने किराया ले कर कुछ वेंडर्स को अलग अलग वेंडिंग जॉन्स में बिठा रखा है। क्या नगर के अधिकारियों को कुछ पता नहीं है। आज भी जब यह वेंडर्स आए तो तुरंत ही ऑन द स्पॉट जांच कर सच्चाई क्यों नहीं जानने की कोशिश की गई।क्यों कोई बीजेपी का कथित नेता बीच बचाव के लिए आया हुआ था जैसा सुनने को मिला। अगर यह सब सच है जो कि सच ही होगा जब वेंडर्स ने लिखित में शिकायत दी और सब कुछ टाल दिया गया, तो यह कितना बड़ा घोटाला होगा इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है।

ऐसी भी जानकारी मिली है कि अभी भी वेंडर्स से 2000 रुपए महीना इकट्ठा किए गए हैं।जबकि कुछ महीने पहले ULB मिनिस्टर ने यह बंद करने के लिए निर्देश भी दिए थे। जब कोई सुविधा हो नहीं तो वेंडर्स से पैसा किस बात का वसूला जा रहा है।

हम मांग करते हैं एक तो तुरंत ही सभी वेंडिंग जॉन्स में बैठे एक एक वेंडर की जांच की जाए और पता लगाया जाए कि वो किराए पर बैठे हैं, या परिवार के मेंबर हैं अलॉटी के( कागजात लिए जाएं).कौन कौन इनसे या दूसरे किसी भी वेंडर्स से पंचकूला में पैसे इकट्ठे कर रहा है। तीसरा मीडिया के माध्यम से वेंडर्स को जानकारी दी जाए कि किसी को भी चाहे वो कोई भी पार्षद हो, एजेंट हो, या निगम का कर्मचारी हो कोई पैसा नहीं देना है। सिर्फ निगम के द्वारा ऑथराइज किए(उसकी चिट्ठी वेंडर्स एसोसिएशन को भी भेजी जाए और उसका नाम भी निगम के द्वारा लगवाए बोर्डों पर लगाया जाए) कर्मचारी को रसीद ले कर ही करनी है और वो भी सिर्फ निगम का किराया जो कि 600 रुपए के आसपास है।

जांच में तुरंत ही किराए पर बिठाए वेंडर्स और ज्यादा पैसे वसूलने के सबूत सामने आ जाएंगे। इसमें जो कार्ट दो है उसकी भी हर वेंडर्स से उसकी शिकायत की जाए। यह कार्ट सिर्फ दिखावा है वेंडर्स सामान बाहर रख कर ही काम कर पाते हैं। जब दूसरे वेंडर्स भी बाहर सामान रख कर काम कर रहे तो इनको जबदस्ती क्यों बेचे। अगर जांच किसी थर्ड पार्टी से करवाई जाए। वरना खेल तो चल ही रहा है। 

हम सिर्फ एक उम्मीद रख सकते हैं कि निगम तुरंत गहराई में सही से इसकी जांच करवाएगा। और इसको बाकी जांचों की तरह दबा नहीं देगा बल्कि सार्वजनिक भी करेगा।

यह एक और बहुत बड़े घोटाले का मुद्दा है इसको तुरंत ही गंभीरता से जांच की कमेटी बना सामने लाना चाहिए।

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