Sunday, September 14
  • आम लोगों की परेशानी को देखते हुए पंजाब सरकार  हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ “एस्मा” एक्ट के तहत करे तुरंत  कार्रवाई  : बलवीर सिंह सैनी
  • डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान इलाज के बिना मरीज की मौत हो तो डॉक्टरों पर दर्ज हो 302 का मुकदमा : आरटीआई एक्टिविस्ट फ्रंट

 तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 13 सितंबर :

 आरटीआई एक्टिविस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया (राफ़ी) के अध्यक्ष बलवीर सिंह सैनी ने पंजाब के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा सुरक्षा की मांग के नाम पर पिछले कुछ दिनों से की जा रही हड़ताल को लोकतंत्र का अपमान और जनविरोधी बताया और कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों को मनमानी सजा दी जा रही है । इसकी सज़ा डॉक्टरों द्वारा हड़ताल के रूप में आम जनता को दी जा रही है और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित हो रही हैं।  जिसके लिए सरकार को इस हड़ताल को अवैध और असंवैधानिक घोषित करना चाहिए और हड़ताली डॉक्टरों को काम पर लौटने की चेतावनी देनी चाहिए और ऐसा न करने की स्थिति में “एस्मा अधिनियम” के तहत कड़ी कार्रवाई करने की पुरजोर मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो इस मामले में न्यायपालिका को जनहित में हस्तक्षेप करना चाहिए ।

आरटीआई एक्टिविस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया (RAFI) के अध्यक्ष बलवीर सिंह सैनी ने कहा कि इस हड़ताल के पीछे मुख्य कारण कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता को लेकर देश भर में आक्रोश है, जिसके आधार पर डॉक्टरों द्वारा यह हड़ताल की जा रही है । जबकि हकीकत यह है कि इस अमानवीय और बर्बर कृत्य के पीछे कोई और नहीं बल्कि इस मेडिकल कॉलेज के सुपर सीनियर और जूनियर स्टाफ हैं, जो अब कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हैं। स्वास्थ्य विभाग में कई अन्य चरित्रहीन और भ्रष्ट डॉक्टरों के उदाहरण दिये जा सकते हैं,  इसलिए इन सुरक्षा खामियों को लेकर बाहरी लोगों के बहाने डॉक्टरों द्वारा की जा रही हड़ताल गैरकानूनी है। 

बलवीर सिंह सैनी ने कहा कि दरअसल डॉक्टरों की मंशा इस बहाने असीमित शक्तियां हासिल करना है ताकि वे इसका इस्तेमाल अपनी मनमानी और भ्रष्ट गतिविधियों को बचाने के लिए कर सकें, जबकि कड़वी हकीकत यह है कि डॉक्टर खुद ही पुलिस से मिले हुए हैं उन्हें झूठे मामले दर्ज करने और झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है ।

इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया (राफी) के अध्यक्ष बलवीर सिंह सैनी ने कहा कि होशियारपुर के सिविल अस्पताल को कवर करने गए दो पत्रकार अश्वनी शर्मा और तरसेम दीवाना पर केस दर्ज करना , संगरूर के सरकारी अस्पताल में जाकर कवरेज़ करने गए दो पत्रकारों गुरमेल सिंह छाजली और कुलदीप सिंह सागू को एक महिला डॉक्टर द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों के तहत झूठे केस दर्ज करके जेल भेज दिया गया, इसके अलावा मोहाली सहित पूरे पंजाब में पत्रकारों के खिलाफ झूठे मामलों के अनगिनत उदाहरण दिए जा सकते हैं।  जब पंजाब में पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक अन्य लोगों की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है।  इस मामले की गंभीर प्रकृति को देखते हुए पंजाब सरकार और उसके मुखिया पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को माननीय न्यायपालिका के साथ मिलकर इस मामले को दूरदर्शिता के साथ हल करना चाहिए ताकि झूठे मुक़दमों में फंसा कर किसी निर्दोष व्यक्ति का जीवन बर्बाद न हो सके । 

उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्टिविस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया खुद सही मायनों में मानवता की सेवा करने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और पंजाब सरकार से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की पुरजोर मांग करती है।  लेकिन साथ ही वह गलत प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की कड़ी निंदा करते हैं और सरकार से इस पर ध्यान देने की मांग करते हैं ।