Wednesday, August 6
  • रेल कर्मचारियों की मांगें जायज, सरकार तुरंत उनकी समस्याओं का करे समाधान
  • पॉइंट्समेन का कार्य अत्यंत जोखिम भरा और कड़ी मेहनत वाला, यात्री सुरक्षा से जुड़ी गंभीर ड्यूटी निभाने वाले कर्मचारियों का ध्यान रखे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  06 अगस्त :

अखिल भारतीय पॉइंट्समेन संघ (AIPMA) का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा के दिल्ली निवास पर मिला और अपनी मांगों से जुड़ा ज्ञापन सौंपा। दीपेन्द्र हुड्डा ने उनकी मांगों को जायज बताते हुए सरकार से तुरंत उनका समाधान करने की मांग की। AIPMA की मांग है कि पॉइंट्समेन के लिए 12 घंटे के रोस्टर को समाप्त कर 60 घंटे साप्ताहिक ड्यूटी लागू की जाए। जोखिम और कठिनाई भत्ता शीघ्र लागू किया जाए। पॉइंट्समेन कैडर का पुनर्गठन कर प्रमोशन के उचित अवसर सुनिश्चित किए जाएँ।

रेलवे कर्मचारियों ने सांसद दीपेन्द्र को बताया कि पॉइंट्समेन के लिए 1961 से लागू 12 घंटे के ईआई (एसेंशियल इंटरमिटेंट) रोस्टर के चलते पॉइंट्समेन को प्रतिदिन 12-12 घंटे की कठिन ड्यूटी करनी पड़ रही है, जिससे न तो उन्हें स्वास्थ्य के लिए समय मिल पाता है और न ही अपने परिवार के साथ। रेलवे के आधुनिकीकरण और कम ट्रेनों के संचालन के बावजूद वर्षों पुरानी व्यवस्था आज भी लागू है, जिससे कर्मचारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। रेलवे बोर्ड के HOER नियम के अनुसार, ऐसे कर्मचारियों के लिए 60 घंटे प्रति सप्ताह का रोस्टर ही लागू होना चाहिए। इसके अलावा, पॉइंट्समेन का कार्य अत्यंत जोखिम भरा और कड़ी मेहनत वाला होता है। उन्हें ट्रेन मूवमेंट, शंटिंग, कोच और वैगन जोड़ने-हटाने, रेक की सिक्योरिटी, सिग्नल एक्सचेंजिंग आदि महत्वपूर्ण कार्यों में लगाया जाता है। इसमें कई बार वो हादसों का शिकार भी हो जाते हैं। पिछले एक साल के आंकड़ों को ही देखें तो देशभर में 18 पॉइंट्समेन ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई है। बावजूद इसके कर्मचारियों के लिए जोखिम व कठिनाई भत्ता की माँग आज भी मंत्रालय स्तर पर लंबित है।

रेलवे संचालन के महत्त्वपूर्ण अंग पॉइंट्समेन को सेवा के 30 वर्षों बाद भी न तो कोई वित्तीय लाभ मिलता है और न ही पदोन्नति का अवसर मिल पाता है। इससे पहले, पॉइंट्समेन को लेवरमैन/कैबिनमैन तक पदोन्नति मिल जाती थी, परंतु अब इन पदों को खत्म कर दिया गया है। 7वें वेतन आयोग के अनुसार केवल लेवल-2 तक ही प्रमोशन का अवसर सीमित है, जबकि ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट में पॉइंट्समेन पॉइंट्स ऑपरेशन, गेटमैन, शंटिंग आदि कई “क्रिटिकल सेफ्टी ड्यूटीज़” निभाते हैं। इसके बावजूद प्रमोशन के लिए कोई उचित कैडर व्यवस्था नहीं है। यात्री सुरक्षा से जुड़ी गंभीर ड्यूटी निभाने वाले कर्मचारियों का ध्यान रखने की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से सरकार की है।