बीमारियों से बचाव के लिए पर्यावरण स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत: सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा
तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 05 जून :
आज के दौर में मानवीय गतिविधियों जैसे वाहन, फैक्ट्रियों, इमारतों आदि के निर्माण कार्य, बिजली संयंत्र, कूड़ा-कचरा जलाना आदि के कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। पर्यावरण को स्वच्छ रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण तथा गर्मी, बाढ़ व अन्य संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा इस संबंध में व्यक्तिगत स्तर पर जो भी प्रयास किए जा सकते हैं, उनके मद्देनजर सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा ने सिविल सर्जन कार्यालय की मलेरिया शाखा में पौधे लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। इस अवसर पर उनके साथ, जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. रणजीत सिंह, जिला एपीडिमोलोजिस्ट डॉ. जगदीप सिंह, जिला एपीडिमोलोजिस्ट आईडीएसपी डॉ. सैलेश कुमार, डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रमनदीप कौर, अधीक्षक मनोहर लाल, एचआई जसविंदर सिंह, एचआई तरसेम सिंह और एचआई विशाल पुरी मौजूद थे। इस अवसर पर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले साहित्य का भी विमोचन किया गया।
सिविल सर्जन ने इस अवसर पर कहा कि हम सभी जानते हैं कि इस समय प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है और हमें इसके उपयोग को रोकने की ओर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक दशकों/सदियों तक पर्यावरण में रहता है/नष्ट नहीं होता। ऐसे में इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें” प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के बारे में है। जबकि दुनिया में हर साल करोड़ों टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसमें से आधे का उपयोग केवल एक बार किया जाता है, जबकि केवल 10 प्रतिशत ही रिसाइकिल किया जाता है। प्लास्टिक में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न प्रकार के रसायन जो हवा, पानी, मिट्टी में भी मिल जाते हैं तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे हृदय, पेट, लीवर, फेफड़ों के रोग, मधुमेह, हार्मोनल परिवर्तन, कैंसर आदि गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। बीमारियों को रोकने के लिए पर्यावरण की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए जहां तक संभव हो प्लास्टिक के उपयोग से बचना चाहिए तथा पर्यावरण अनुकूल एवं टिकाऊ प्लास्टिक विकल्पों का उपयोग करना चाहिए।
डॉ. जगदीप सिंह ने कहा कि पर्यावरण संबंधी समस्याओं जैसे वायु प्रदूषण, जल एवं मृदा प्रदूषण, अन्य जलवायु परिवर्तन जैसे प्रतिवर्ष तापमान में वृद्धि आदि पर तुरंत विशेष ध्यान देने तथा इस संबंध में सुधार करने की बहुत आवश्यकता है, इसके साथ ही प्रकृति को बचाने के लिए प्लास्टिक के उपयोग को कम/खत्म करना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि वर्तमान में एक औसत व्यक्ति पानी, भोजन, हवा आदि के माध्यम से हर सप्ताह लगभग 5 ग्राम प्लास्टिक/माइक्रोप्लास्टिक किसी न किसी रूप में ग्रहण कर रहा है अथवा उसे सांस के माध्यम से अपने अंदर ले रहा है। इसे रोकने के लिए पुन: प्रयोज्य पर्यावरण अनुकूल बैग जैसे जूट/कपड़े के थैले का उपयोग करना, पुन: प्रयोज्य पानी की बोतल रखना आवश्यक है। डिस्पोजेबल/थर्मोकोल आदि कप/प्लेट/चम्मच का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा जहां तक संभव हो, पैकेज्ड सब्जियां, फल और पैकेज्ड फूड की खरीद से बचना चाहिए। आजकल बाजार में इको-फ्रेंडली प्लास्टिक के कई विकल्प मौजूद हैं। इन बातों/चीजों पर अमल करके ही हम सभी जीवन के अनुकूल पर्यावरण को बनाए रख सकते हैं और इसके क्षरण को रोक सकते हैं।