सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 30 मई :
डीएवी गर्ल्स कॉलेज में इंडियन नॉलेज सिस्टम एवं संगीत विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ऑन लाइन वेबिनार कम ओपन हाउस डायलॉग का आयोजन किया गया। वेबीनार का विषय भारतीय शास्त्रीय संगीत की दार्शनिक तात्विक चेतना एवं संवेदनशीलता के प्रारूप एवं सार का पुनः अवलोकन रहा।
राष्ट्रीय संगीत के परिवार के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र वर्मा बजरंग मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने संगीत परंपरा का परिचय देते हुए उस पर गहन चर्चा की और कहा कि नाद ब्रह्म स्वरूप है। सभी ध्वनियां नाद रूप है, इस सृष्टि में जो निरंतर है वह नाद है। ईश्वर तक पहुंचाने के लिए नाद की साधना आवश्यक है। उन्होंने संगीत को कुंडलिनी साधना से जोड़ते हुए कहा कि जब हम कुंडलिनी जागरण करते हैं, तो ब्रह्मस्वरूप नाद को जागृत करना होता है।
उन्होंने संगीत की दार्शनिकता सिद्ध करते हुए मानवीय संवेदना से जोड़ा और कहा कि आधुनिक पीढ़ी को संगीत एवं संस्कृत दो विषय अनिवार्य होने चाहिए संगीत परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। उसका स्वरूप बदलता रहता है। कार्यक्रम संचालन आशुतोष अंगीरस ने किया।
मौके पर डॉ सुभाष, सतीश वोहरा, अरुण कुमार, रविंद्र कुमार इत्यादि ने संगीत नाद की प्रासंगिकता पर ऑनलाइन विचार विमर्श किया । कार्यक्रम का संचालन संगीत विभाग अध्यक्ष डॉ नीता द्विवेदी व हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ किरण शर्मा की देखरेख में हुआ। इस अवसर पर डॉ अनीता मोदगिल , विवेक, डॉ दीपिका घई, डॉ रंजना कांबोज उपस्थित रही। संगीत विभाग अध्यक्ष डॉ नीता द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए आज की इस ऑनलाइन चर्चा में बहुमूल्य जानकारी एवं संगीत के क्षेत्र में प्रासंगिक ज्ञान देने के लिए सभी विद्वानों का आभार व्यक्त किया।