पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 29 मई 2025
नोटः आज श्री रम्भा तृतीया व्रत एवं महाराणा प्रताप जयंती है।

श्री रम्भा तृतीया व्रत : हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन विभिन्न अप्सराओं की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का पर्व मनाया जाता है। महाराणा प्रताप जयंती :

भारांग: वैशाख 19, 1462 ग्रेगोरी कैलेण्डर: मई 9, 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग, मेवाड़ (वर्तमान में:कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजसमंद जिला, राजस्थान, भारत) महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने मुगल बादशहा अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया, अंततः अकबर महाराणा प्रताप को अधीन करने मैं असफल रहा।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः ज्येष्ठ,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः तृतीया रात्रि काल 11.19 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः आर्द्रा रात्रि काल 10.39 तक है,
योग, शूल़ अपराहन्ः काल 03.47 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः वृष, चन्द्र राशिः मिथुन,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.28, सूर्यास्तः 07.09 बजे।