Friday, May 30
  • 6 करोड़ की लागत से बने दोनों छात्रावासों ने भूत खंडहर का रूप ले लिया है
  • छात्रावासों की चोरी हुई खिड़कियां और दरवाजे “नशे पर जंग अभियान” की पोल खोल रहे हैं
  • मीडिया का सामना करने से बच रहे हैं एडीसी : निकास कुमार

तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 29 मई  :

पंजाब सरकार द्वारा युवाओं को सरकारी मान्यता देकर रोजगार के योग्य बनाने के लिए तैयार की गई योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 12 करोड़ की लागत से आईटीआई होशियारपुर में बनाया गया “मल्टी स्किल डवैलपमेंट सेंटर” अपनी योजनाओं में बुरी तरह विफल होकर महज सफेद हाथी बनकर रह गया है। इस प्रकार तत्कालीन सरकारों की लापरवाही और संबंधित विभाग की अक्षमता के कारण सरकारी खजाने का करोड़ों रुपए धूल में मिल गया है। इसके सबूत के तौर पर बिल्डिंग के करीब 250 बिजली के पंखे, एग्जॉस्ट पंखे, बिजली की फिटिंग, बिजली के स्विच बोर्ड, वाटर प्यूरीफायर फायर सिस्टम, नल, पाइप, दरवाजे, खिड़कियां, शीशे, लैट्रीन सीट, शीशे गायब होना बड़ा सबूत है। मुद्दा यह है कि इन सभी महंगी चीजों के गायब होने या चोरी होने का जिम्मेदार कौन होगा?

ये है कहानी:-

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान होशियारपुर जालंधर रोड पर करीब 25 ऐकड़ जमीन पर 1962 से स्थित है। जिसमें दो अन्य संस्थान बेसिक ट्रेनिंग सेंटर और औद्योगिक प्रशिक्षण स्कूल (लड़के) भी चल रहे हैं। महानिदेशक रोजगार एवं प्रशिक्षण नई दिल्ली द्वारा जारी नियमों और मानकों की अनदेखी करते हुए केंद्र सरकार द्वारा जारी 12 करोड़ की लागत से परिसर में एक और संस्थान “मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर होशियारपुर” का निर्माण किया गया। जिसके लिए तीन इमारतों की जरूरत थी। एक इमारत को शैक्षणिक, प्रशिक्षण और प्रशासनिक ब्लॉक के रूप में काम करना था और अन्य दो इमारतों को लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास के रूप में इस्तेमाल किया जाना था। वर्ष 2016-17 में नियमों के अनुसार नई अत्याधुनिक इमारतें बनाई गई, जिनमें मशीनरी, औजार, उपकरण, सभी प्रकार के फर्नीचर, बिस्तर, गद्दे आदि सुसज्जित किए गए। होशियारपुर में “मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर” की स्थापना की गई। प्रशासनिक विंग पर लगभग 6 करोड़ और दोनों छात्रावासों पर 6 करोड़ खर्च करके तीनों इमारतों का बहुत बढ़िया निर्माण किया गया, जिसमें पंजाब भर की फैक्ट्रियों से अकुशल श्रमिकों को विभिन्न ट्रेडों में अल्पकालिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाना था और अर्ध-कुशल श्रमिकों को तैयार किया जाना था। लेकिन फैक्ट्री मालिकों द्वारा समर्थन न दिए जाने के कारण यह योजना शुरू में ही दम तोड़ गई। शुरू होने के पहले वर्ष में केवल 1-2 ट्रेडों के 1-2 बैज ही बड़ी मुश्किल से चल पाए। क्योंकि फैक्ट्री मालिकों ने अकुशल श्रमिकों को इस केंद्र में प्रशिक्षण के लिए नहीं भेजा। जिसके कारण यह योजना पहले वर्ष में ही बंद हो गई। फिर यहां दो मंजिला लड़कों के छात्रावास में केवल पहले बैच के 15 से 20 पुरुष छात्र ही छात्रावास में रह रहे थे। उस समय हॉस्टल वार्डन को भी ठेके के आधार पर रखा गया होगा। शॉर्ट टर्म कोर्स बंद होने से लड़कों ने हॉस्टल में आना बंद कर दिया। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इन नवनिर्मित इमारतों के रख-रखाव के लिए किसी विभाग को सौंपने का प्रबंध नहीं किया। “मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर होशियारपुर” के शॉर्ट टर्म कोर्स बंद होने के बाद पूरी इमारत और आईटीआई होशियारपुर के प्रशासन को आईटीआई होशियारपुर के प्रशासन को सौंप दिया जाना चाहिए था क्योंकि ये इमारतें आईटीआई होशियारपुर के परिसर में बनी थीं। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। केवल प्रशासनिक ब्लॉक की ऊपरी इमारत के कुछ हिस्सों में जिला रोजगार और वाणिज्य ब्यूरो होशियारपुर कार्यालय स्थानीय प्रशासन की मदद से अपना कार्यालय चला रहा है। इसके ऊपर कुछ कमरे, नीचे ग्राउंड फ्लोर पर बनी इमारत और अत्याधुनिक हॉस्टल 2 इमारतों को सौंपने के बजाय उन्हें ताले लगा दिए गए। इन इमारतों का रख-रखाव भी किसी को नहीं सौंपा गया।

आज जब हमारे स्थानीय पत्रकार ने छात्रावासों का स्वयं निरीक्षण किया तो ऐसा लगा जैसे ये छात्रावास न होकर पुराने स्थानीय खंडहर हों के रहि गए। इन भवनों के मुख्य प्रवेश द्वार पर बड़े-बड़े सरकंडे उगे हुए हैं। वहां से भवन के अंदर जाना आसान नहीं है। जब हमने लड़कों के छात्रावास भवन के अंदर देखा तो अंदर जाते ही छात्रावास का मुख्य द्वार गायब था और खिड़कियां टूटी हुई थीं तथा लॉबी में कोई पंखा भी नहीं दिखा। लॉबी की दाहिनी दीवार पर लगे तीन फ्लेक्स बोर्डों पर “ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार” लिखा होने से स्पष्ट है कि छात्रावास भवन स्थानीय एडीसी विकास होशियारपुर के अधीन होंगे। इन बोर्डों पर दिए गए विवरण के अनुसार छात्रावास में कुल 24 कमरे हैं, जिनमें ग्राउंड फ्लोर पर 14 तथा सेकंड फ्लोर पर 14 कमरे हैं। दोनों मंजिलों पर स्थापित 24 कमरों, हॉल और कैंटीन में लगे सभी बिजली के पंखे चोरी हो गए हैं, बिजली की वायरिंग, बिजली के स्विच बोर्ड, वाटर प्यूरीफायर फायर सिस्टम, बाथरूम और वॉशरूम के नल और पाइप भी चोरी हो गए हैं, दरवाजे, खिड़कियां, कांच, लैट्रिन सीट, दर्पण, सभी बुरी तरह से टूटे हुए हैं। यही हाल गर्ल्स हॉस्टल का भी है। नवनिर्मित जर्जर भवनों की यह हालत किसी जिम्मेदार विभाग को न सौंपे जाने और स्थानीय प्रशासनिक प्रबंधन की लचर व्यवस्था का नतीजा लगती है। इन दिनों ये भवन नशेड़ियों के लिए स्वर्ग बन गए हैं। इन भवनों की हालत इतनी खराब है कि इनके चारों ओर पूरा जंगल बन गया है। रात या दिन में भी इन भवनों में जाना डरावना लगता है। शायद चोर इसी का फायदा उठाकर इन इमारतो का सामान चोरी करने में सफल हो गए हैं।

क्या कहते हैं प्रिंसिपल:-

स्थानीय आईटीआई “मल्टी स्किल डवैलपमेंट सेंटर होशियारपुर” के प्रशासनिक ब्लॉक भवन और छात्रावासों की खस्ता हालत के बारे में पूछे जाने पर आईटीआई होशियारपुर के कार्यवाहक प्रिंसिपल गुरनाम सिंह ने कहा कि उपरोक्त सभी इमारत  हमारे प्रशासन के अधीन नहीं हैं। इन इमारत  का प्रभार हमारे संस्थान को नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि “मल्टी स्किल डवैलपमेंट सेंटर होशियारपुर” का प्रशिक्षण पूर्ण रूप से बंद होने के बाद ये इमारत  हमारे परिसर में बनाए गए थे और इन्हें प्रिंसिपल आईटीआई को सौंप दिया जाना चाहिए था, क्योंकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं के लिए सैद्धांतिक कमरों की भारी कमी है। इस प्रकार यदि ये भवन आईटीआई के नियंत्रण में नहीं होते तो इमारत  को आईटीआई को सौंप दिया जाता तो कमरों की कमी पूरी हो सकती थी और इनका रखरखाव भी ठीक से हो सकता था। उन्होंने कहा कि यदि आज भी प्रशासनिक ब्लॉक सहित “मल्टी स्किल डवैलपमेंट सेंटर होशियारपुर” की पूरी बिल्डिंग तथा दोनों हॉस्टल ब्लॉक की बिल्डिंग आईटीआई होशियारपुर के प्रिंसिपल को सौंप दी जाए तो प्रशासनिक ब्लॉक में वर्कशॉप तथा हॉस्टल के कमरों को आईटीआई होशियारपुर के विद्यार्थियों के लिए थ्योरी रूम के रूप में प्रयोग करके प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है तथा बिल्डिंग का सही प्रयोग किया जा सकता है तथा आवश्यक नए कोर्स भी खोले जा सकते हैं। इसके अलावा, जिस उद्देश्य से इन बिल्डिंगों का निर्माण किया गया था, उसके लिए मौजूदा स्टाफ को कुछ प्रोत्साहन देकर अन्य आईटीआई में भी शॉर्ट टर्म कोर्स चलाए जा सकते हैं। वह उद्देश्य भी पूरा हो सकता है। अब यह देखा जाएगा कि इन बिल्डिंगों का प्रभारी कौन था तथा इन बिल्डिंगों के रख-रखाव का जिम्मा किसका था। इस समय इन बिल्डिंगों में चोरी हुए बिजली के पंखे, बिजली की वायरिंग, लगभग सभी बिजली के स्विच, वाटर प्यूरीफिकेशन फायर सिस्टम, एग्जॉस्ट फैन, बेड, कुर्सियां, टेबल, बेंच, वाटर सप्लाई पाइप तथा नल आदि चोरी हुए प्रतीत होते हैं। किसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी तथा आगे से इन बिल्डिंगों के रख-रखाव की जिम्मेदारी किसकी होगी?

एडीसी विकास मीडिया का सामना करने से बच रहे हैं : निकास कुमार

जब इस मुद्दे पर स्थानीय प्रशासन का पक्ष लेने के लिए अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) निकास कुमार आईएएस से पत्रकारों द्वारा पिछले दो-तीन दिनों में करीब 8-10 बार उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो इस लोक सेवक ने फोन अटेंड करने या कॉल बैक करने में कोई रुचि नहीं दिखाई, जिससे सहिजे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त अधिकारी अपने कर्तव्य पालन के प्रति कितने गंभीर हैं।