हाईकोर्ट ने रद्द किए गलत प्रमोशन, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 29 मई :
हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड में जूनियर अकाउंटेंट्स को बड़ी राहत मिली है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जूनियर अकाउंटेंट्स के प्रमोशन विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 2012 और 2014 में हुए गलत प्रमोशन्स को रद्द कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता जूनियर अकाउंटेंट्स को वरिष्ठता के आधार पर प्रमोट करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
क्या था मामला?
ज्योति सैनी और एक अन्य जूनियर अकाउंटेंट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे अकाउंट्स कैडर में जूनियर अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं और विभागीय परीक्षा भी पास कर चुके हैं। बावजूद इसके, विभाग ने नियमों को दरकिनार कर यूडीसी और एलडीसी कैडर के कर्मचारियों को प्रमोट कर दिया। यह फैसला नियमों के खिलाफ था क्योंकि यूडीसी और एलडीसी अकाउंट्स कैडर का हिस्सा नहीं थे।
कोर्ट का साफ संदेश :
मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई. मेहता की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि -प्रमोशन संबंधित कैडर में ही हो सकता है। अकाउंट्स कैडर के प्रमोशन केवल अकाउंटेंट्स, जूनियर अकाउंटेंट्स और अकाउंट्स क्लर्क्स तक सीमित रहेंगे। यूडीसी/एलडीसी मिनिस्ट्रीयल कैडर के कर्मचारी हैं, उन्हें प्रमोशन का हक नहीं था। अश्वनी चौहान और पूजा लाठवाल के प्रमोशन अवैध थे, इसलिए उन्हें रद्द किया जाता है।
कोर्ट के निर्देश :
प्रमोशन प्रक्रिया 2012 और 2014 से लागू मानी जाए और नए सिरे से की जाए। जूनियर अकाउंटेंट्स को वरिष्ठता के आधार पर प्रमोट किया जाए। प्रमोशन की तिथि से वेतन और अन्य लाभ दिए जाएं। गलत प्रमोशन के दौरान मिले वेतन की वसूली दोषी अधिकारियों से की जाए।अश्वनी चौहान और पूजा लाठवाल को उनके मूल कैडर में प्रमोशन का अवसर दिया जाए, यदि वे पात्र हों।
वकीलों की प्रतिक्रिया :
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील अश्विनी तलवार और एडवोकेट दीपक गोयत ने कहा कि यह फैसला जूनियर अकाउंटेंट्स के हक की जीत है। यह विभागीय लापरवाही और नियमों के उल्लंघन के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, जो भविष्य में अन्यायपूर्ण फैसलों को रोकने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल प्रमोशन विवाद का हल नहीं है, बल्कि सरकारी विभागों में नियमों के पालन और पारदर्शिता की अहमियत को भी रेखांकित करता है। कोर्ट के फैसले से न केवल कई कर्मचारियों को न्याय मिला है, बल्कि विभागीय अनियमितताओं पर भी सख्ती से शिकंजा कसा गया है।