पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 14 मई 2025
नोटः आज ज्येष्ठ संक्रांति है। तथा श्री नारद जयंती एवं वीणा दान है।
ज्येष्ठ संक्रांति : यह पर्व नई फसल के स्वागत और गर्मी के मौसम की तैयारी के रूप में मनाया जाता है। इस समय सत्तू और बेसन की ताजी पैदावार होती है, जो शरीर को ठंडक देने वाले होते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते। यही कारण है कि इस मौसम में लोग सत्तू से बने खाने-पीने की चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं।

धर्मशास्त्रों में नारद मुनि को एक दिव्य ऋषि और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें ‘देवर्षि’ की उपाधि प्राप्त है। वे तीनों लोकों में विचरण करते हैं और देवताओं, असुरों, ऋषियों व मानवों के बीच संवाद का माध्यम बनते हैं। नारद जी के हाथों में वीणा और मुख पर हर समय “नारायण-नारायण” का मधुर उच्चारण रहता है। वे विष्णु भगवान के अनन्य भक्त माने जाते हैं और उन्हीं के गुणगान में लीन रहते हैं।
वीणा दान को एक शुभ और पुण्य कार्य माना जाता है, क्योंकि यह ज्ञान और कला की देवी को समर्पित है। वीणा दान, शिक्षा और कला को बढ़ावा देता है। वीणा देवी सरस्वती का प्रतीक है, जो विद्या और ज्ञान की देवी हैं।

विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः ज्येष्ठ,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः द्वितीया रात्रि 2.30 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अनुराधा प्रातः 11.47 तक है,
योग, परिघ प्रातःः काल 06.34 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः वृष, चन्द्र राशिः वृश्चिक,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.35, सूर्यास्तः 07.01 बजे।