“छल्ला… की बनूं दुनिया दा… तीन रंग नहीं लबने बीबा… अर्जन वैली…” पर खूब थिरके युवा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 07 मई :
आज का युवा भले ही मॉडर्न परिधानों को अपना रहा है, लेकिन उसका दिल और दिमाग अब भी अपनी संस्कृति में ही रमा हुआ है – राकेश सुरताल।
चंडीगढ़ के परेड ग्राउंड में आयोजित रूरल अर्बन हेरिटेज फेस्टिवल की संध्या, मॉक ड्रिल के पश्चात रोशनी से नहाए खुले मंच पर, पंजाबी गीतों की सुरीली छटा बिखेरने पहुंचे राकेश सुरताल।
न्यू चंडीगढ़ के सायलबा माजरी गांव से ताल्लुक रखने वाले राकेश सुरताल का पंजाबी फोक सिंगिंग से बचपन से ही जुड़ाव है। पारिवारिक संगीत परिवेश, पंजाब यूनिवर्सिटी से संगीत में स्नातक की पढ़ाई और उस्ताद सोनू सुरजीत से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद राकेश अक्सर शादियों में अपनी गायकी से खुशियां बिखेरते दिखाई देते हैं।
नुसरत फतेह अली खान साहब को अपना आदर्श मानने वाले राकेश सुरताल धार्मिक, सूफी, लोक, ग़ज़ल और कव्वाली जैसे सभी संगीत शैलियों में रुचि रखते हैं, लेकिन शादियों की रौनक और उत्सव उनका प्रिय मंच है।
फेस्टिवल में कठपुतली नृत्य के अलावा नेपाल, बिहार और दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ जलेबी और कुल्हड़ पिज़्ज़ा भी लोगों का विशेष ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।