Sunday, March 30

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 26 मार्च :

आधी सदी से भी ज्यादा समय तक चण्डीगढ़ के हजारों लोगों को उर्दू भाषा व उर्दू अदब से परिचित कराने वाले डॉ. एच.के.लाल ने आज दोपहर यहां चण्डीगढ के एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। 89 वर्ष के डॉ. एच. के. लाल ने उर्दू के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे आजीवन उर्दू भाषा व अदब की खिदमत में लगे रहे डा. लाल ने अपने उर्दू अध्यापन की अवधि पचास से भी ज्यादा प्रशासनिक अधिकारियों को भी उर्दू भाषा से परचित करवाया।

उनके निधन से ट्राई सिटी के साहित्यिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि डॉ. लाल की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा के प्रति डॉ. लाल के योगदान को देखते हुए उर्दू अकादमी ने भी ‘लाइफ टाइम अचीवमेन्ट अवार्ड से भी सम्मानित किया था। इस दुःखद अवसर पर श्री रवीन्द्र जाखू साहिल, पूर्व आई.ए.एस. (रिटायर्ड) ने कहा कि ‘डॉ. लाल के साथ उनकी ढेरों यादें जुड़ी हुई हैं। उनके मार्ग दर्शन में हमने ट्राई सिटी, चण्डीगढ़ में उर्दू भाषा को लेकर बहुत काम किया है। उनकी इस क्षति को कोई भी पूरा नहीं कर सकता। क्षेत्र के उर्दू साहित्यकार बी.डी. कालिया हमदम, शम्स तबरेजी, डॉ. जतिन्दर परवाज, सैय्यद अब्दुल हन्नान, श्री टी.एन. राज, ने भी उनसे जुड़ी अपनी यादें सांझा करते हुए शोक प्रकट किया है।

डॉ. लाल का जन्म वर्ष 1937 में ‘पाक पटन (वर्तमान पाक) में हुआ था। उन्होंने प्रख्यात उर्दू अदीब जनाब जोश मलसियानी पर अपने शोध प्रबन्ध में पी.एच.डी. की उपाधि भी पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। उनकी दोनों बेटियां लम्बी अवधि तक आकाशवाणी के चण्डीगढ़ केन्द्र में सेवारत रहीं। उनके बेटे विकास एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री हैं।