Saturday, August 23

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 26 मार्च :

उच्चतर शिक्षा विभाग पंचकूला द्वारा हरियाणा में हटाए गए 160 पीएचडी धारक एक्सटेंशन लेक्चरर्स को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्पष्टीकरण के बाद बड़ी राहत मिली है। पीएचडी धारक एक्सटेंशन लेक्चरर सोनू, प्रवीन, नैंसी, राजेश्वर, डा. रामा स्वामी की ओर से एक आरटीआई लगाई गई थी, जिसमें आयोग की तरफ लगभग दो महीने पहले निकाली एक सार्वजनिक सूचना के संदर्भ समय अवधि की जानकारी मांगी गई थी। इस आरटीआई के जवाब में यूजीसी की अवर सचिव जनसूचना अधिकारी ने सार्वजनिक सूचना के बारे में स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का पत्र दिनांक 16 जनवरी 2025 केवल भविष्य में प्रदान की जाने वाली डिग्रियों पर लागू होगा। यह पत्र पहले से दी गई डिग्रियों पर प्रभावी नहीं होगा। स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया है कि यूजीसी का यह पत्र संभावित प्रकृति का है और स्वयं स्पष्ट  है। इस जबाव के बाद हरियाणा उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा एक स्पीकिंग आदेश जारी करके हटाए गए 160 एक्सटेंशन लेक्चरर्स को राहत मिलेगी, क्योंकि उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस 16 जनवरी 2025 को यूजीसी के एक पत्र को आधार बनाकर इन्हें नौकरी से हटा दिया था। अब यूजीसी के आरटीआई में मिले जवाब के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि डीजीएचई द्वारा हटाए गए 160 एक्सटेंशन लेक्चरर्स पर यह पत्र प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि उनकी डिग्री 16 जनवरी 2025 से पहले ही पूरी हो चुकी है। अतः उनकी शैक्षणिक योग्यता इस पत्र से प्रभावित नहीं होगी।

उच्चतम शिक्षा विभाग ने यूजीसी के 16 जनवरी 2025 के सार्वजनिक सूचना को आधार मानकर तीन निजी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वाले प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत 160 एक्सटेंशन प्राध्यापकों को गलत बताकर स्पीकिंग आर्डर जारी किए और अयोग्य बताकर कार्य मुक्त कर दिया था। इन प्रभावित एक्सटेंशन प्राध्यापकों का कहना है कि उउन्हें गलत आधार बनाकर विभाग द्वारा हटाया गया। कई बार विभाग के अधिकारियों से मिले, लेकिन उनका नकारात्मक रवैया था और कोई सुनवाई नहीं हुई प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के सामने भी अपनी समस्या रखी। उन्होंने आश्वासन दिया कि आपके साथ गलत नहीं होगा और जल्द ही आपका समाधान होगा। लेकिन अब भी विभाग की नकारात्मक सोच के कारण कुछ नहीं हुआ है। कुछ एक्सटेंशन प्राध्यापक ने कोर्ट में भी विभाग के निर्णय को चुनौती दी है लेकिन अभी तक राहत नहीं मिली है। विभाग के एक गलत फैसले से 15-17 वर्ष से कॉलेजों में पढ़ा रहे एक्सटेंशन प्राध्यापकों मानसिक, आर्थिक, सामाजिक तौर पर कमजोर हो गए हैं और बहुत संकट में हैं।

आरटीआई में मिला यूजीसी का स्पष्टीकरण

प्रभावित एक्सटेंशन प्राध्यापक डा. सोनू भारद्वाज और डा. रामा स्वामी ने बताया कि जिस यूजीसी की 16 जनवरी 2025 की सार्वजनिक सूचना को आधार मानकर विभाग ने राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत 160 एक्सटेंशन प्राध्यापकों को हटाया गया था। उसके लिए सोनू, प्रवीन, नैंसी, राजेश्वर, डा. रामा स्वामी आदि कई एक्सटेंशन प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने यूजीसी को आरटीआई लगाकर इस सार्वजनिक सूचना को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था। यूजीसी ने सभी को जवाब दिया है कि यह पत्र 16 जनवरी 2025 से पहले की समया अवधि पर लागू नहीं होता। ये सभी पत्र विभाग को दे दिए गए हैं, लेकिन विभाग स्वयं स्पष्टीकरण लेने बात कहकर टाल-मटोल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब उच्चतर विभाग को स्पीकिंग ऑर्डर वापिस लेकर हटाए सभी एक्सटेंशन प्राध्यापकों को पुन: ज्वाइन कराना होगा।

विभाग तुरंत ज्वाइन करवाएं : प्रधान

हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान ईश्वर सिंह ने कहा कि आरटीआई में यूजीसी के जवाब से स्पष्ट हो गया है कि 16 जनवरी 2025 के सार्वजनिक सूचना की विभाग ने गलत व्याख्या दिखाकर प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत 160 एक्सटेंशन प्राध्यापकों को हटाकर मनमानी की है। इस पत्र से स्पष्ट है कि इन तीनों विश्वविद्यालयों की पिछली डिग्रियों पर कोई प्रभाव नहीं है और मान्य हैं। ये सैकड़ों प्राध्यापक वर्षों से कॉलेजों की बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे थे और बेहतर परीक्षा परिणाम आए हैं। बार-बार विभाग द्वारा एक्सटेंशन प्राध्यापकों की पीएचडी डिग्री की वेरिफिकेशन भी की गई और ठीक पाई गई। लेकिन विभाग के कुछ अधिकारियों ने अपनी तानाशाही दिखाते हुए 160 परिवारों का रोजगार छीन लिया जिससे उनके लिए जीवनयापन पर संकट आ गया। इनमें कुछ की आयु 50 के आसपास है और कुछ महिला प्राध्यापक अपने इसी नौकरी के सहारे बच्चों को पढ़ा रही थी। यूजीसी का स्पष्ट जवाब आ गया है, अब विभाग को सभी हटाए एक्सटेंशन प्राध्यापकों  तुरंत पुन: ज्वाइन करा लेना चाहिए।